शिशिर ऋतु
शिशिर ऋतु को ही शरद ऋतु के नाम से जाना जाता है और इस दौरान कड़ाके की ठंड पड़ती है। शिशिर ऋतु का अपना बहुत ही अधिक महत्व है।
शिशिर ऋतु का महत्व –
शिशिर ऋतु में वातावरण में सूर्य के रोशनी बहुत ही सुहावनी लगती है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य के अमृत तत्व की अधिकता रहती है क्योंकि सर्दी बहुत ही अधिक होती है। इस दौरान शाक, फल और वनस्पतियां को खूब फलती –फूलती है। मकर संक्रांति के त्यौहार पर शीतकाल अपनी पूरी चरम सीमा पर होता है। इस दौरान प्रतिकार तिल और तेल से बने व्यंजन बनाये जाते है।
क्या करें शिशिर ऋतु में –
● इस दौरान मौसमी सब्जियों और फलों को खाने का बहुत ही अधिक महत्व है।
● शरीर को गर्मी प्रदान करने वाल मेवों, दूध और गुड़-मूंगफली जैसी चीजों को खाना चाहिये
● इस मौसम में पाचन क्रिया बहुत ही स्वस्थ रहती है इसीलिये कसरत करना भी बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।
● इस समय व्रत-त्योहारों में तिल का उपयोग करना बहुत ही सेहतमंद माना गया है तो इसका सेवन करना ना भूलें।
शीत ऋतु – दो भाग
शिशिर ऋतु का प्रवेश 21 दिसंबर मध्य रात्रि को हो जाता है और यह फरवरी तक जारी रहता है। फरवरी से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। और इस तरह से शीत ऋतु को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। हेमंत ऋतु को हल्की गुलाबी ठंड के रुप में जाना जाता है तो वही शिशिर को कड़ाके की ठंड के रुप में जाना जाता है।
हिंदु धर्म में ऋतुओं का बहुत ही अधिक महत्व है। स्वास्थ्य के संदर्भ में इन्हें बहुत ही उपयोगी माना गया है। शिशिर ऋतु में अच्छे भोजन को करने को काफी स्वास्थकारी माना गया है। हमारे धर्मों में भी यह बताया गया है क्या अच्छा है और क्या नहीं।