Indian Festivals

श्रावण मास|

सोमवार व्रत ऐसा प्रभावशाली व पुण्यदायक है जिसके प्रभाव से जीवन संवर उठता तथा व्रती स्त्रिी, पुरूषों को सुख तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार सभी व्रत तीर्थो का पुण्य सोमवार की सोलहवीं कला को नहीं पा सकते हैं। इस व्रत से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती और इस संसार की कठिन व दुर्लभ वस्तुएं भी आसानी से मिल जाती हैं। इस दिन जप, दान, होम से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है भविष्य, निखर उठता है। जिससे मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है नाना प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और तमाम प्रकार की बीमारियों का अंत भगवान शिव की कृपा होता है।
 
सोमवार व्रत का बड़ा ही महत्त्व है। श्रावण मास के सोमवार अपने आप में अद्वितीय और अनुपम हैं। श्रावण मास के प्रथम पक्ष अर्थात् प्रथम सोमवार से कोई भी व्रत को कर सकता है। इस व्रत को 10 की संख्या में, एक साल या फिर 4-5 साल तक किया जा सकता है। जिस मास में व्रत को शुरू किया जाता उसी मास में व्रत को समाप्त करने का विधान है। व्रत को शुरू करने से पहले स्नाादि क्रियाओं द्वारा शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र धारण की विधिवत व्रत का संकल्प लें और फिर षोड़षोपचार विधि से मां पार्वती व शिव की पूजा करें। व्रत और पूजा के समय में श्रद्धा भक्ति से ऊँ नमः शिवाय का जाप करते रहना चाहिए। सोमवार का व्रत चैत्र, वैषाख, ज्येष्ठ, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष में शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से करना चाहिए। सोमवार का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा कर जीवन को सुख समृद्धि से भर देता है। और अंत में शिव लोक की प्राप्ति होती है।