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श्री सत्यनारायण जी की आरती


।। श्री सत्यनारायण जी की आरती।।

जय लक्ष्मी रमणा श्री जय लक्ष्मी रमणा, सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा ।टेक।
रत्न जड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे, नारद करत निरंजन घण्टा ध्वनि बाजे ।1।
प्रकट भयो कलि कारण द्विज को दर्ष दियो, बूढ़ा ब्राह्मण बनकर कंचन महल कियो। 
 
इसके अतिरिक्त ओम जय जगदीष हरे की आरती भी गाएं, सभी उपस्थित बंधु बांधव व भक्त भगवान का भोग लग जाने पर आदर व विष्वास पूर्ण गोधमधू चूर्ण का प्रसाद खायें फिर अपने गनतव्य की ओर बढ़ें। बोलिए सत्य नारायण भगवान की जय, उमामहेष्वर भगवान की जय,लक्ष्मी नारायण भगवान की जय, सचियां जोता वाली माता की जय, सांचे दरवार की जय, सत्य सनातन धर्म की जय, हनुमंत प्रभ की जय
 
सब संतन भक्तन की जय इस प्रकार जय घोष करते हुए संपूर्ण वातावरण को उत्साह व आनन्दमय बनाएं कथा की सम्पन्नता पर विविध प्रकार की हवन साम्राग्री द्वारा हवन करना भी अत्यंत आवष्यक है बिना हवन के धार्मिक कथाओं, अनुष्ठानों का पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है। यदि विधि व शुद्धता पूर्व हवन आदि वैदिक क्रियाएं की जाएं तो निष्चित रूप से आरोग्यता, आयु, धन, समृद्धि, सुख, सौभाग्य अर्थात् मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं। किन्तु इसके लिए श्रद्धा विष्वास के साथ लगन होना चाहिए और साथ ही विद्वान व अनुभवी ब्रह्मणों से सलाह करना उत्तम रहता है। 
 
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