सरस्वती आवाहन
सरस्वती पूजा का पहला दिन सरस्वती आवाहन के नाम से जाना जाता है। "आवाहन" अर्थात 'मंगलाचरण' 'आमंत्रण'. यह पर्व माँ सरस्वती की कृपा पाने के लिए मनाया जाता है। नवरात्री के आखरी तीन तिथि के दौरान सरस्वती आवाहन, सरस्वती पूजन व् सरस्वती विसर्जन का विधान है। हिन्दू दिनदर्शिका/पंचांग के आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सरस्वती आवाहन मनाया जाता है।
धार्मिक हिन्दू शास्त्रों के अनुसार माँ सरस्वती का पूजन विधान स्पष्ट रूप से समझाया गया है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सरस्वती आवाहन का प्रावधान "मूल नक्षत्र" में किया जाता है और माँ का पूजन विधान "पूर्वा अषाढा नक्षत्र" में किया जाता है| अथवा बलिदान पूजन "उत्तरा अषाढा नक्षत्र" में किया जाता है और विसर्जन "श्रवण नक्षत्र" में किया जाता है। महाराष्ट्र व् दक्षिण भारत में सरस्वती पूजा 'सरस्वती आवाहन' से शुरू हो विजयदशमी के दिन सरस्वती विसर्जन पर ख़तम होती है|
सरस्वती आवाहन का महत्व।
1. हिन्दू धर्म के अनुसार माँ सरस्वती संगीत, बुद्धि, कला व् विज्ञान की देवी मानी जातीं हैं।
2. शारदा, महाविद्या नीला सरस्वती, विद्यादायिनी, शारदाम्बा, वीणापाणि, व् पुस्तक धारिणी आदि नामो से माँ जानी जातीं है।
3. माँ सरस्वती को त्रिदेवी भी कहा जाता है जिनका निवास ब्रह्मपुरा में है।
4. माँ सरस्वती चतुर भुजाओं वालीं हैं, जो हमेशा चमकदार श्वेत वस्त्र धारण किये रहती है।
5. माँ सफ़ेद कमल पर विराजमान रहती हैं व् उनका वाहन हंस है|
6. भगवान् ब्रह्मा ने माँ सरस्वती की सूझ-बूझ व् ज्ञान की सहायता से ही इस ब्रह्माण्ड की रचना की थी।
7. सभी श्रध्दालु व् भक्त माँ का पूजन बहुत ही उत्साह व् निष्ठा से करते हैं और माँ की स्तुति कर माँ से कामना करतें है की उनको सद्दबुद्धि व् ज्ञान की प्राप्ति हो, और जीवन के हर लक्ष्य को पा सकें।
सरस्वती आवाहन क्रियापद्धति।
सरस्वती आवाहन का मुहूर्त लगभग ५ घंटों का होता है, जिस दौरान माँ का आवाहन करना सबसे शुभ होता है। सरस्वती आवाहन मुला नक्षत्र में किया जाता है। परन्तु एकदम ठीक समय हर साल अलग अलग रहता है। सरस्वती आवाहन के दौरान माँ की कृपा पाने के लिए व् माँ को आमंत्रित करने के लिए कुछ मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है। श्रद्धालु माँ की स्तुति कर माँ से अपने कुशल मंगल होने की कामना करतें हैं।
1. माँ के आवाहन का पूजन शुरू करते समय सबसे पहले माँ के चरण धोये जाते है और माँ के विधिवत पूजा अर्चना करने का संकल्प किया जाता है|
2. संकल्प लेने के पश्चात माँ को कुमकुम व् चन्दन से सजाया जाता है, और इस प्रक्रिया को अलंकाराम कहा जाता है।
3. अलंकाराम के बाद माँ के आगे घी या तिल के तेल का दिया, धूप, अगरबत्ती जगाई जाती है| उन्हें पीले व् सफ़ेद फूलों की माला अर्पित करी जाती है।
4. इस शुभ अवसर पर माँ के लिए बहुत से नैवैद्यम बनाये जाते है और उनका भोग लगाया जाता है।
5. माँ का सबसे प्रिय रंग सफ़ेद माना गया है, जिसे ध्यान में रखते हुए माँ को भोग में दिए जाने वाले सारे मिष्ठान सफ़ेद जैसे रसगुल्ले, खीर, बर्फी आदि बनाये जाते है|
6. पूजा पूर्ण होने के पश्चात नैवेद्यम व् मिठाईयां, सभी एकत्रित हुए श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित करी जाती है।
7. प्रसाद वितरण के पश्चात माँ के भजन भी गाये जाते है।
8. कुछ श्रद्धालु सरस्वती आवाहन के दिन व्रत भी करते है।
Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.