Indian Festivals

उगादी | Ugadi on 09 Apr 2024 (Tuesday)

जानिए कब और कैसे मनाए ये त्यौहार

भारत को सदियों से एक कृषि प्रधान देश का दर्जा मिला हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज भी देश की 55-60 फीसदी आबादी खेती के बल पर ही अपना पेट भर रही है। भारत में पूरे वर्ष विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाए जाते है, जिनमें कई त्यौहारों का सीधा संबंध किसानों और फसलों से होता है। जिस तरह से कई राज्यों में बसंत पंचमी का त्यौहार, पंजाब और हरियाणा में बैसाखी का त्यौहार नई फसल आने के रुप में मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार उगादी नाम का त्यौहार दक्षिण भारत के कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के राज्यों में मनाया जाता है।

उगादी शब्द संस्कृत भाषा के युगादी शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है युग की शुरुआत। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन मनाया जाता है। इसी दिन से अन्य समस्त भारत में नवरात्रों की शुरुआत भी होती है। दक्षिण भारत में इस दिन को नए साल के रुप में मनाते है। इसी दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। आमतौर पर यह त्यौहार मार्च के अंतिम दिनों या अप्रैल की शुरुआत में आता है। 

क्यों मनाया जाता है उगादी का त्यौहार

भारत में मनाए जाने वाले प्रत्येक त्यौहार के पीछे कुछ पौराणिक कथाओं का उल्लेख अवश्य देखने को मिलता है। उगादी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे भी कई प्रकार की कथाएं प्रचलित है-

        युं तो शिवजी ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था कि विश्व में कहीं भी आपकी पूजा नहीं होगी, लेकिन इस दिन विशेष तौर पर ब्रह्मा जी की पूजा का महत्व है।

        ब्रह्मा जी को इस संसार का विधाता माना जाता है। और कहा जाता है कि उगादी के दिन ही उन्होंने इस पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी।

        उगादी के दिन ही भगवान राम का 14 वर्षों के वनवास खत्म होने के पश्चात राज्याभिषेक हुआ था।

        इस दिन ही सम्राट विक्रमादित्य ने लगभग 2000 वर्ष पुर्व शकों पर विजय प्राप्त कर उन्हें देश से बाहर निकाला था।

        चैत्र मास में यह त्यौहार ऐसे समय मनाया जाता है जब वसंत ऋतु अपने पूरे चरम पर होती है और खेतों में नई फसल का आगमन होता है। ऐसे में यह पर्व किसानों के लिए भी बेहद खास माना जाता है।

दक्षिण भारत की दीवाली है उगादी पर्व

उगादी के त्यौहार के लिए दक्षिण भारत में लोग ठीक उसी तरह से उत्साहित रहते है, जिस प्रकार समस्त भारत में दीवाली मनाई जाती है। इसकी तैयारी लगभग 2 हफ्तें पहले ही शुरु हो जाती है। लोग अपने घरों में सफेदी कराते है एवं पूरे परिवार के लिए नए कपड़े खरीदते है। उगादी का त्यौहार मूलरुप से तीन दिन तक चलता है।

उगादी के दिन लोग सुबह जल्दी बेसन के लेप से नहाते है और अपने शरीर पर तिल का तेल लगाते है। इसके बाद घर के मुख्य दरवाजों को आम के पत्तों से सजाते है एवं घर के बाहर सुंदर रंगोली बनाते है। रंगोली बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, साथ ही यह राह चलते लोगों को अपनी ओर आकर्षित भी करती है।

बनाए जाते है स्वादिष्ट व्यंजन एवं पच्चड़ी

इस दिन लोग अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करते है। उगादी के दिन पच्चड़ी नाम का एक पेय पदार्थ विशेष रुप से बनाया जाता है। यह पदार्थ आम के रस, नीम नारियर और इमली के मिश्रण से मिट्टी के मटके में बनाया जाता है। इसके स्वाद में मीठेपन के साथ-साथ थोड़ी कड़वाहट भी होती है। जो हमें सीख देती है कि जीवन में मिठास के साथ कई बार कुछ कड़वाहट भी आती रहती है। इसके अलावा पूलिहोरा, पुरणपोली और पोरेलु नामक स्वादिष्ट व्यंजन भी इस दिन बनाए जाते है।

विशेष पूजा का है महत्व

उगादी पर ब्रह्मा जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन लोग अपने घर के मंदिरों में ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करते है। मूर्ति स्थापित करने की भी एक प्रथा है। मंदिर में सफेद वस्त्र के ऊपर केसर से अष्टादल बनाकर मूर्ति की स्थापना की जाती है। तत्पश्चात ब्रह्मा जी का तिल के तेल से अभिषेक किया जाता है। शाम के समय इस दिन पूरे राज्य में जगह-जगह कवि सम्मेलन का आयोजन भी विशेष रुप से किया जाता है।

 

Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.

Related Links