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वामन जयंती | Vaman Jayanti on 04 Sep 2025 (Thursday)

वामन अवतार को भगवान विष्णु जी का ही अवतार माना जाता है और इसी कारण यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्तों के बीच काफी प्रिय है। यूँ तो हम सभी जानते है कि भगवान की लीला अनंत है और उसे समझना आसान नहीं है लेकिन वामन अवतार है के बारे में ग्रंथों में काफी अच्छा वर्णन किया गया है। और यह बताता है कि भगवान की लीला का अद्भुत है।

क्या है वामन जयंती -

हिंदुओं के लिये वामन जंयती बहुत ही विशेष महत्व रखती है और इस दिन खास तैयारियां की जाती है। इस दिन भक्त सुबह से ही उठकर श्री हरि नाम का जाप करना शुरु कर देते हैं। इस दिन बहुत ही विधिपूर्वक पूजा की जाती है। भगवान वामन का पूजा करने के बाद दान करना भी काफी उचित माना जाता है।

भगवान वामन का पूजा करना बहुत ही अच्छा माना जाता है। इस दिन व्रत कथा सुनने का भी विशेष महत्व माना जाता है। पूजा करने के बाद पूरे परिवार वालों को भगवान का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इस दिन व्रत एवं पूजा करने से भगवान वामन का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है।

कैसे करे वामन जयंती की पूजा -

यूं तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी व्रत त्यौहार महत्व पूर्ण है लेकिन वामन जयंती का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रवण नक्षत्र होने से इस व्रत-त्यौहार की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है।

भगवान विष्णु के भक्त इस दिन खासतौर पर उपवास रखते हैं और वामन भगवान की स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पंचोपचार सहित उनकी पूरे नियम से पूजा करते है। भगवान वामन के पूरी भक्ति श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक पूजा करने से असीम आनंद की अनुभूति होती है। वामन भगवान अपने भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। भगवान वामन की कृपा से ही देवताओं के राजा बलि को अपने कष्टों से मुक्ति मिली थी।

वामन अवतार की कथा –

श्रीमद्भगवद पुराण में भी भगवाम विष्णु के वामन अवतार का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार देव और दैत्यों के बीच बहुत ही बड़ा युद्ध हुआ। दोनों में ही एक-दूसरे को हराने का जूनून जाग उठा। लेकिन असुर बलशाली और पराक्रमी थे । और देवता उनसे जीतने में अक्षम थे। ऐसे में देवताओं की हार होने लगी और उनका मनोबल टूटने लगा। इस बात का फायदा उठाते हुये असुर सेना अमरावती पर हमला करने लगी जोकि देवताओं की सहनशीलता से परे था । तब भगवान इन्द्र ने भगवान विष्णु की मदद मांगी और भगवान विष्णु जी ने वामन रुप में अवतार लिया। उन्होनें भगवान वामन के रुप में माता अदिति के गर्भ से जन्म लिया। और ब्राह्मण-ब्रह्मचारी के रुप में उन्होनें देवताओं की सहायता की। इसके बाद ही देवताओं की जीत संभव हो सकी।

यह त्यौहार हमें बताता है कि ईश्वर से ब़ड़ा सत्य कोई नहीं है और केवल वे ही सृष्टि के निर्माण और विनाश को गति दे सकते हैं, अन्य कोई नहीं। ईश्वर की उपासना करने से भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।

 

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