वरलक्ष्मी व्रत भारत में काफी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस व्रत का एक खास महत्व है। वरलक्ष्मी पूजा को सही समय पर करना भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और इसीलिये ये जानना बहुत जरुरी है कि पूजा का सही मुहूर्त क्या है। varalakshmi,varalaxmi vratam,varalakshmi vratam 2021,varalakshmi pooja 2021,varalakshmi vratam mehtv,varalaxmi vrat significance
विवाहित महिलाँए क्यों करती है पूजा –
विवाहित महिलाएँ इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा के साथ रखती है। इस दिन इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि पूरे विधि विधान से यह व्रत किया जाये। विवाहित महिलायें ये व्रत अपने पति और बच्चों की दीर्घायु के लिये करती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि इस शुभ दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्याताओं के अनुसार इस व्रता की तुलना अष्टलक्ष्मी देवा जो कि प्यार, धन, बल, शांति, प्रसिद्धि,सुख, पृथ्वी और विद्या की आठ देवी हैं,की उपासना करने के बराबर माना जाता है।
कब मनाते है वरलक्ष्मी व्रत
इसे श्रावण मास की पूर्णिमा से ठीक पहले या दूसरे शुक्रवार को मनाया जाता है। यदि अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो यह जुलाई या अगस्त महीने में मनाया जाता है।
भारत में कहां-कहां मनाया जाती है वरलक्ष्मी व्रत
वरलक्ष्मी व्रत को बड़ी धूमधाम के साथ इन विशेष भारतीय राज्यों में मनाया जाता है जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर तमिलनाडु और तेलंगाना। इस विशेष दिन पर भक्तों का उत्साह और विश्वास देखते ही बनता है। यही नहीं बल्कि यह समारोह महाराष्ट्र राज्य में भी बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन राज्यों में एक वैकल्पिक अवकाश भी ऱखा जाता है ताकि लोग इसे पूरी श्रदधा के साथ मना सके।
वरलक्ष्मी व्रत की तैयारी कैसे करे:
पूजा मे प्रयोग होने वाली सभी आवश्यक सामग्री एक दिन पहले ही एकत्रित कर ली जाती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन भक्त सुबह जल्दी उठ जाते हैं और स्नानादि करने के बाद साफ वस्त्र ग्रहण करते है। पूजा करने के लिये भक्त सूर्योदय से ठीक पहले उठ जाते है। उसके बाद घर के आस-पास की सफाई की जाती है। पूजा स्थल को विशेष तौर पर साफ किया जाता है। और रंगोली भी बनाई जाती है।
पूजा के अगले दिन का अनुष्ठान–
पूजा के एक दिन बाद श्रद्धालु स्नान करते हैं और उसके उपरांत पूजा में इस्तेमाल किया गया कलश को हटाया जाता है। कलश के अंदर रख चावलों को घर में रखे चावल के साथ मिश्रित किया जाता है ताकि सुख स्मृदधि का वास हौ और पूजा में इस्तेमाल किया गया जल पूरे घर में और चावल पर छिड़का जाता है ताकि नकारात्मकता का नाश हो।
Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.