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वरद तिल कुंड चतुर्थी | Varad Til Kund Chaturthi on 12 Feb 2024 (Monday)

वरद-तिल-कुंड चतुर्थी

वरद-तिल-कुंड चतुर्थी का महत्व – 

वरद-तिल-कुंड चतुर्थी को तिलकूट चतुर्थी को व्रत किया जाता है और इस दिन भगवान श्री गणेश जी का पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है। हिंदु पुराणों में इस चतुर्थी को बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है

क्यों करें वरद-तिल-कुड चतुर्थी 

भगवान गणेश जी की पूजा पूरी विधि से करने से भक्त को मानसिक सुख व शान्ति मिलती है। इसके साथ ही यह व्रत करने वाले भक्तों के जीवन सभी प्रकार के सुख और समृद्धि वास होता है। महिलाओं के द्वार इस प्रकार से व्रत करने से उनके परिवार के अन्य सभी लोगों की व्यवसाय में भरपूर तरक्की होती है। भक्त के दाम्पत्य जीवन में और अधिक सुख बढ़ता है और उन्हें अखंड सौभाग्य मिलता है। 

वरद-तिल-कुंड चतुर्थी पूजन विधि :

  • वरद-तिल-कुंड चतुर्थी  के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • श्रीगणेश की पूजा करते समय भक्त को अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिये क्योंकि यहा शुभ माना जाता है।

  • इसके बाद साफ व शांत चित्त के साथ आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करें।

  • धूप-दीप जलाने के बाद भगवान गणेश को फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं, पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल-गुड़ का भोग लगायें।

  • पूजा के बाद भक्त को 'ॐ श्रीगणेशाय नम:' का जाप 108 जरुर करना चाहिये।

  • इसके बाद शाम के समय कथा सुनने के बाद भगवान गणेशजी की आरती करनी चाहिये।

  • भक्त इस शुभ दिन पर अपनी योग्यता के अनुसार गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल आदि का दान कर सकते है।

  • पूजा के बाद गणेश मंदिर के पुजारी को भोजन भी कराना चाहिए।


वरद-तिल-कुंड चतुर्थी का महात्मय - 

शास्त्रों में ऐसा कहा गया है जो लोग नियमित रूप से विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है। भगवान गणेश को देवताओं में से सबसे पहले पूजा जात है । मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को 'संकटहरण' के रुप में पूरे सारे संसार में जाना जाता है।

वरद-तिल-कुंड चतुर्थी के शुभ दिन पर भगवान श्रीगणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है ताकि भक्त के जीवन में सभी प्रकार के सुख-समृद्धि, धन-वैभव तथा आत्मीय शांति का आगमन हो। इस व्रत को करने से ना केवल व्यवसाय बल्कि घर में बहुत ही खुशहाली आती है । इस दिन दान करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है जैसे गर्म कपड़े, तिल, गुड़ या अन्य तरह की मिठाई, कंबल, आदि दान करना।

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