अग्नि नक्षत्रम से जुडी विशेष बातें-
• अग्नि नक्षत्रम मई में 14 दिन की अवधि है, जो वर्ष का सबसे गर्म हिस्सा है.
• यह वह मौसम होता है जब धर्मनिष्ठ व्यक्ति गिरि वेदी में पहाड़ी पर परिक्रमा के लिए जाते हैं. जो स्वास्थ्य के कारणों से सुबह जल्दी (1 बजे से सुबह 10 बजे तक) और शाम को (4 से 10 बजे) की जाती है.
• इस समय पर्वत पर भगवान् मुरुगा के पसंदीदा वनस्पतियों, कदंब के फूल चारों ओर पूरी तरह से खिले हुए होते हैं, जो अपनी सुगंध के द्वारा सभी लोगों को उपचार गुण देते हैं.
• कोडुमुडी (पेरियार जिला) में, हजारों की तादाद में श्रद्धालु चिलचिलाती धूप में कावेरी नदी के जल को एकत्र करते हैं और देवता के अभिषेकम के लिए कावड़ियों में लाते हैं.
• यहाँ पहाड़ी पर गर्भगृह पानी का एक बड़ा कुंड है. यहाँ का पानी इतना ठंडा रहता है कि इसमें स्नान करने से मंसूही गर्मी को भूल जाता है.
• अग्नि नक्षत्रम उत्स्व के दौरान विभिन्न प्रकार के लोक-संगीत और लोकगीत के कार्यक्रम भी होते हैं
• इस उत्स्व के समापन के दिन भक्त पेरियानाकी मंदिर के त्यौहार देवता आदिवारम के पास जाते हैं और गिरि बीड़ी के सामने एक राजसी जुलूस निकलता है.
• अग्नि नक्षत्रम के अंतिम 7 दिनों के दौरान और अगले महीने के पहले 7 दिन को भगवान मुरुगा के भक्त सुबह जल्दी उठकर पैदल यात्रा करते हैं.
• पलानी पौराणिक कथाओं के अनुसार, पहाड़ी मंदिर में दूर से पैदल यात्रा करना या उसके चारों ओर प्रदक्षिणा करना बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है.
• इसे गिरिवलम भी कहा जाता है. यह एक पुरानी प्रथा है.
• प्राचीन काल में सिद्धों, ऋषियों, संतों और अन्य महान व्यक्तियों ने इस प्रथा का पालन किया.
• गिरीवलम मानसिक शांति देता है,पहाड़ी के चारों ओर औषधीय जड़ी-बूटियां कई शारीरिक रोगों का इलाज करती हैं.
• इस पर्व के दौरान लोग कदंब का फूल पहनकर मंदिर में जाते हैं.
• अग्नि नक्षत्रम के पर्व के दौरान इन पहाड़ियों के चक्कर लगाना बहुत पवित्र माना जाता है.
• इस समूह में हजारों लोग शामिल होते हैं. कुछ लोग कोडुमुडी से कावेरी नदी का जल भरकर अपने सर पर रखकर ले जाते हैं.
• भक्त इसी जल से भगवान् को स्नान करवाते हैं.
• इस उत्स्व के अंतिम दिन पेरियनायकी अम्मन मंदिर में मुत्तुकुमारसामी पहाड़ियों के तल पर स्थित ओक्कट्टी मंडपम में पवित्र जल वितरित किया जाता है.
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