जानिए आंवला नवमी के दिन क्यों की जाती है आंवले की पूजा
हिंदू धर्म में आंवला नवमी या अक्षय नवमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. अक्षय नवमी का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. आंवला नवमी के दिन व्रत करने से संतान का सुख प्राप्त होता है. जो लोग आंवला नवमी का व्रत रखते हैं उन्हें असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है.
आज हम आपको आंवला नवमी की व्रत कथा और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं. आंवला नवमी के विषय में एक कथा बहुत ही मशहूर है.
बहुत समय पहले काशी नगर में एक वैश्य निवास करता था. वैश्य की कोई संतान नहीं थी. वैश्य का स्वभाव बहुत ही शांत सौम्य और धार्मिक प्रवृत्ति का था. वैश्य की पत्नी संतान का सुख प्राप्त करने के लिए बहुत सारे उपाय करती थी. जो कोई भी उसे कोई उपाय या विधि बताता था वह उन सब विधियों को पूर्ण करती थी, पर फिर भी उनकी संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण नहीं हो रही थी. एक बार वैश्य की पत्नी को उनकी पड़ोसन ने संतान प्राप्त करने के लिए भैरव बाबा के नाम पर बलि चढ़ाने के लिए कहा. वैश्य की पड़ोसन ने वैश्य की पत्नी से कहा कि अगर तुम संतान प्राप्ति का सुख पाना चाहती हो तो किसी बच्चे की बलि दो. ऐसा करने से तुम्हारी संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण हो जाएगी. वैश्य की पत्नी ने जब यह बात अपने पति को बताई तो वैश्य ने ऐसा पाप पूर्ण कार्य करने से साफ मना कर दिया, पर पड़ोसन की बात वैश्य की पत्नी के मन में बैठ चुकी थी. वैश्य की पत्नी हमेशा ऐसे अवसर की तलाश में रहती थी जिससे वह भैरव बाबा के नाम पर किसी बच्चे की बलि दे सके. 1 दिन वैश्य की पत्नी ने कुएं के पास एक छोटी बच्ची को खड़ा हुआ देखा. जैसे ही वैश्य की पत्नी को मौका मिला वैसे ही वैश्य की पत्नी ने उस बच्चे को कुएं में धक्का दे दिया. इस हत्या का परिणाम बिल्कुल उल्टा हुआ. इस कृत्य के फलस्वरूप फायदे की जगह वैश्य की पत्नी कोढ़ की बीमारी हो गई और उसे संतान की प्राप्ति भी नहीं हुई. वैश्य की पत्नी के पूरे शरीर में कोढ़ की बीमारी फ़ैल गई. बच्चे की हत्या करने के कारण उसके मन में डर बैठ गया और उसे हर समय उस बच्ची की आत्मा नजर आने लगी. अपनी पत्नी की हालत को देखकर वैश्य ने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या तुमने कोई पाप किया है. वैश्य के पूछने पर उसकी पत्नी ने उसे बच्ची की हत्या के बारे में सभी बातें बताई. पत्नी की बातें सुनकर धार्मिक प्रवृत्ति का वैश्य बोला गौवध, ब्राम्हण हत्या और बाल हत्या करने वाले लोगों के लिए इस संसार में कोई जगह नहीं है. अपने पाप से मुक्ति पाने के लिए तुम गंगा के किनारे जाकर भगवान का भजन करो और गंगा नदी में स्नान करके अपने पाप का प्रायश्चित करने की कोशिश करो. मां गंगा और भोलेनाथ की आशीर्वाद से तुम्हारे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और तुम्हें तुम्हारे पापों से मुक्ति मिलेगी. अपने पति की आज्ञा का पालन करते हुए वैश्य की पत्नी गंगा किनारे रहकर तपस्या और व्रत करने लगी. वैश्य की पत्नी की पूजा और तपस्या को देख कर मां गंगा प्रसन्न हो गई और वैश्य की पत्नी को दर्शन दिए. मां गंगा ने वैश्य की पत्नी को कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले के पेड़ की पूजा करके आंवले का सेवन करने का सुझाव दिया. वैश्य की पत्नी ने मां गंगा की आज्ञा का पालन करते हुए आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करके आंवले का सेवन किया और विधि विधान से भगवान विष्णु को आंवला अर्पित किया. वैश्य की पत्नी का पश्चाताप और तपस्या देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और उसे कोढ़ की बीमारी से मुक्त कर दिया. इसके बाद वैश्य की पत्नी अपने पति के साथ मिलकर भगवान विष्णु की भक्ति करने लगी. दोनों की भक्ति के स्वरूप भगवान ने उन्हें एक स्वस्थ और संस्कारी बच्चा प्रदान किया.
अक्षय नवमी का दिन भगवान की विष्णु की पूजा करने के लिए बहुत शुभ होता है. धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि आंवला भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रिय वृक्ष होता है. अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा करने से ब्रह्मा विष्णु महेश के साथ साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं.
अक्षय नवमी के दिन सुबह शाम भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाना शुभ होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी के आंसुओं से आंवले की उत्पत्ति हुई है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में सबसे पहले आंवले का पौधा आया था. इसी वजह से इसे पृथ्वी के पहले फल स्वरुप में भी पूजा जाता है.
भगवान विष्णु सृष्टि के पालन करता है. इसलिए उन्हें आंवले का पेड़ बहुत ही प्रिय है. धार्मिक आस्था के अनुसार आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन बनाने और खाना खाने से अक्षय लाभ और अक्षय स्वास्थ्य मिलता है.
भोजन में गिरने वाली आंवले की पत्तियों को भगवान विष्णु का प्रसाद माना जाता है. अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में आंवले का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए और आंवले को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. आंवला हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले को श्रीहरि का प्रसाद भी माना जाता है.
आंवला नवमी के दिन दान करने का बहुत महत्व होता है. आंवला नवमी के दिन गरीब लोगों को गर्म कपड़ों का दान देना शुभ माना जाता है. आंवला नवमी के दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. आंवला नवमी के दिन किसी भी ब्राह्मण को भोजन करवाना शुभ होता है.
इस दिन को भोजन करवाने से घर में कभी भी अन्न धन और संपत्ति की कमी नहीं होती है. अपने जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति करने के लिए आंवला नवमी के दिन सोना, चांदी के अलावा अन्य मूल्यवान रत्नों को खरीदा जा सकता है.
आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ को दूध चढ़ाना बहुत ही फलदाई माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि आंवला नवमी के दिन ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था. इस दिन दान व्रत और भगवान विष्णु के स्वरूप की पूजा करने का विधान बताया गया है.
आंवला नवमी के दिन विधि पूर्वक आंवले के पेड़ की पूजा करने से मनुष्य को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. आंवले के पेड़ में भगवान शिव और विष्णु का निवास माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर होता है उन्हें आंवले के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए.
कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए आंवला नवमी के दिन से लगातार 10 दिनों तक भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से कुंडली में मौजूद सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है. आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है.
जिन दंपतियों का वैवाहिक जीवन कष्ट पूर्ण होता है उन्हें आंवला नवमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को माखन और मिश्री का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा आंवला नवमी के दिन तुलसी की पूजा करने से भी परिवार को सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
आंवला नवमी के दिन आंवले का पूजन करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आंवला नवमी का व्रत और पूजा पूरे परिवार के साथ की जा सकती है. इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद आंवले के पेड़ को जल अर्पित करके उसकी पूजा करनी चाहिए.
इसके साथ ही आंवले के पेड़ को कच्चा दूध चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसके बाद रोली, अक्षत और दूध से आंवले के पेड़ को देव स्वरूप मानकर पूजा करनी चाहिए. इसके बाद आंवले के पेड़ की आठ परिक्रमा करते हुए मौली कलावा या सूत लपेटकर गांठ लगानी चाहिए.
आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद अपने परिवार और संतान की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें. इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करें और आंवले के पेड़ की गिरती हुई पत्तियों को प्रसाद समझकर खाएं. विधि विधान के साथ अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनुष्य को सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है.