भारत की इस तपोभूमि में नाना प्रकार के व्रत त्यौहारों का आगमन ऋतु चक्र के अनुसार होता है। यहाँ व्रत त्यौहारों के माध्यम से कभी अपने ईष्ट देव को मनाने तथा कभी प्रकृति के संरक्षण हेतु, तो कभी जीव जंतुओं के संरक्षण हेतु कोई न कोई त्यौहार व व्रत मनाएं जाने की परम्परा युगों से चली आ रही है। जीवन को संवारने हेतु यज्ञ, धर्म, कर्म, व्रत, दान, उपवास, अनुष्ठान, सत्य निष्ठा के साथ सदैव किए जाते रहेे हैं। जो लौकिक और परलौकिक जीवन में छाए घने तिमिर को सूर्य के प्रकाश की भांति हटा गतिषीलता प्रदान कर उसे सुखी व समृद्ध बनाते हैं। बहुला चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से करने से मनोरथ सिद्ध होते हैं। Bahula Chaturthi, बहुला चतुर्थी, गौ पूजन, पुत्रवती स्त्रियां, पुत्रों की रक्षा, बहुला चतुर्थी व्रत, story of bahula Chaturthi, बहुला चौथ व्रत पूजा, विधि, कथा, Bahula Chauth 2021, बहुला कथा, बहुला चतुर्थी व्रत bahula chaturthi vrat katha, Bahula Chaturthi Story, Vrat Katha Puja Vidhi in hindi, Krishna Paksha of Bhadrapad Month, bahula chaturthi 2021, bol choth, bahula chaturthi kab hai 2021, bol choth date 2020, bol choth ni varta 202, bahula chaturthi vrat katha, bahula chaturthi date in 2021
इस व्रत में श्रीगणेश और गौ पूजन का विधान है। इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियां पुत्रों की रक्षा के लिए करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से संतान की रक्षा व संतान की प्राप्ति होती है। व्रती स्त्रियों को स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर श्री गणेश की पूजा षड़षोपचार विधि से करनी चाहिए।
बहुला चतुर्थी व्रत का विधि-विधान:
व्रत रखकर सायंकाल मे श्रीगणेश का पूजन, अर्चन करें और चन्द्रोदय होने पर अघ्र्य देकर श्रीगणेश की वंदना करें, श्रीगणपति महाराज को मोदक प्रिय कहा जाता है। इसलिए उन्हें लड्डुओं का नैवेद्य अर्पित करें। जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और व्रती स्त्री को पुत्र, धन, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में गौ पूजा श्रद्धा विष्वास से करते हुए उसके दूध, घी आदि पदार्थों को व्रत के समय नहीं खाना चाहिए तथा बहुला चैथ के दिन गाय का सम्पूर्ण दूध उसके बछड़े के निमित्त छोड़ना चाहिए। गाय का दूध, दूही, घी, मक्खन, जहाँ शरीर को शक्ति दे उसे निरोग बनाते हैं, वहीं गौ मूत्र, और गोबर भी पंच गब्य के रूप में कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों को ठीक करता है। जैसे- कहा जाता है- पय समान औषधी नहीं, जो पय में पय मिला न होय। अर्थात् गो के दूध के समान कोई औषधी (दवा) नहीं किन्तु उसमें कोई मिलावट न हो।
गाय का दूध बच्चे के लिए मां के दूध के समान उपयोगी, लाभकारी व निरोगी तथा शक्ति वर्धक है गाय के दूध से बहुत ही तेजी से शरीर का विकास होता है यह कई षोधों द्वारा सिद्ध हो चुका है। इसलिए हमारे यहां परम्परागत रूप से गाय माता के समान पूज्य और वंदनीय है। बहुला चैथ के दिन संध्या के समय गाय पूजा का विधान है, पूजा के बाद इस व्रत की कथा सुननी चाहिए।
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