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दामोदर द्वादशी | Damodar Dwadashi on 16 Aug 2024 (Friday)

क्या है दामोदर द्वादशी -

दामोदर द्वादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. सभी भक्त भगवान् विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ दामोदर द्वादशी का व्रत करते हैं. दामोदर द्वादशी का व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है. भगवान् विष्णु के बहुत सारे नाम है. दामोदर भगवान विष्णु के कई नामों में से एक है. श्रावण मास को आकाश में तारों के श्रवण नक्षत्र के रूप में चिह्नित किया जाता है. श्रावण मास को भगवान शिव की पूजा के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है. इस शुभ माह के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. श्रावण का महीना भगवान  शिव की कृपा से प्राप्त करने के लिए बहुत ही उत्तम होता हैं. श्रावण मास मानसून के मौसम से भी जुड़ा होता है, जो फसलों की कटाई और सूखे की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए, देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रावण मास विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. दामोदर द्वादशी के एक दिन पहले पवित्र एकादशी व्रत या पुत्रदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है, पवित्र एकादशी का व्रत भी भगवान विष्णु को समर्पित है. जो लोग पवित्रा एकादशी या पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं वो भगवान विष्णु की पूजा करके उन्हें भोग लगाने के पश्चात् द्वादशी तिथि को भगवन विष्णु के भोग को ग्रहण करके अपना उपवास तोड़ते हैं। Damodar Dwadashi,significance of damodar dwadashi,damodar dwadashi 2020,damodar dwadashi in shravan month,

दामोदर एकदशी का महत्व-

दामोदर द्वादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक विशेष दिन है. यह श्रावण मास के शुक्ल चरण के बारहवें दिन पड़ता है. इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित अनुष्ठान पूजा करने से उनके अनुयायियों और भक्तों के जीवन में बहुत खुशी और समृद्धि सकती है. मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. श्रावण मास में भगवान् शिव के साथ साथ भगवान् विष्णु की पूजा को भी महत्वपूर्ण माना जाता है. श्रावण मास में पड़ने वाली दामोदर द्वादशी के दिन गरीब और ज़रूरतमंद लोगो को चावल, फल और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है

दामोदर द्वादशी पूजन विधि-:

दामोदर द्वादशी के व्रत का पालन करने के बहुत सारे नियम हैं. इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के पश्चात् स्नान करें. अब स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पुरे दिन उपवास का पालन करें. इस दिन अन्न का सेवन भूल कर भी ना करें. अब भगवान विष्णु को धूप, फूल, मिठाई, जल, दीपक लगाएं. इसके पश्चात् भगवान विष्णु का पंचामृत अभिषेक करें. अगर आपके घर के आसपास भगवान् विष्णु का कोई मंदिर हैं तो वहाँ जाकर उनके दर्शन करें.अब विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र ||विष्णु सहस्त्रनाम|| और भागवत का पाठ करें या सुने. अब ब्राह्मणों को वस्त्र और अनाज दान करें. मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ दामोदर द्वादशी व्रत का पालन करता हैं, उन्हें मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है. दामोदर व्रत का पालन करने से अनुयायियों को बहुत सारे लाभ प्राप्त होते है.

दामोदर द्वादशी के लाभ-

जो भी व्यक्ति दामोदर द्वादशी तिथि के दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे अग्नष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता और वह मृत्यु के पश्चात् सतलोक में जाता है. जो व्यक्ति दामोदर द्वादशी तिथि को दिन-रात व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है, उसे गोमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है और उसे मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग की प्राप्ति होती है. श्रावण मास में पड़ने वाली द्वादशी तिथि के दिन उपवास करके भगवान् विष्णु की पूजा करने वाले  पुरुष को नरमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है और वो पुरुष महान पुण्य का भागी होता है. जो व्यक्ति श्रावण मास की द्वादशी तिथि के दिन-रात व्रत  करके भगवान श्रीधर की पूजा करता है, उसे पंच महायज्ञों का फल प्राप्त होता है और उस  व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है. दामोदर द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सौत्रामणि यज्ञ का फल प्राप्त होता है और उस व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है. दामोदर द्वादशी तिथि के दिन-रात व्रत करके भगवान् विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को सहस्र गोदान का पुण्यफल प्राप्त होता है

 

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