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दिन के अनुसार प्रदोष व्रत और उनका महत्व

दिन के अनुसार प्रदोष व्रत और उनका महत्व
इससे जुड़े सत्य बहुत ही रोचक है. ऐसा माना जाता है की जिस दिन प्रदोष व्रत आता है उसके आधार पर इस व्रत का नाम और महत्व बदलते रहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब भी आपको प्रदोष व्रत करना हो तो उस दिन पढने वाली त्रयोदशी तिथि का चुनाव करना उत्तम होता है. उसी दिन के अनुसार कथा पढ़ी और सुनी जानी चाहिए. ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. 
 

रविवार:- अगर रविवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो इसे करने से आपको कभी भी कोई बीमारी नहीं होगी.रविवार के दिन पड़ने वाली प्रदोष का सम्बन्ध देव सूर्य से होता है| इससे भानु प्रदोष या रवि प्रदोष कहा जाता हैरवि प्रदोष का व्रत सूर्य को मज़बूत व् उनकी कृपा पाने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है| यदि जीवन में अपयश या हड्डियों की समस्या का दोष हो तो रविवार के दिन आने वाली प्रदोष का व्रत करें| सूर्य सम्बंदि सभी समस्याओं का निवारण करता है, रवि प्रदोष|

सोमवार:- अगर सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो इसे करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. सोमवार के दिन आने वाली प्रदोष का सम्बन्ध चन्द्रमा से है| किसी का चन्द्रमा दूषित हो या अशुभ फल दायक हो तो सोम प्रदोष का व्रत अवश्ये करना चाहिए| सोम प्रदोष सब प्रदोष में सबसे शुभ फल दायी है| सोम प्रदोष का व्रत करने से भगवान् शिव और चन्द्रमा दोनों का ही आशिर्वाद प्राप्त किया जा सकता है| सोम प्रदोष का व्रत विशेष मनोकामनाओ की पूर्ती के लिए महत्वपूर्ण है|

मंगलवार:- मंगलवार के दिन पढ़ने वाले प्रदोष व्रत को रखने से रोग मुक्ति के साथ साथ जीवन में खुशहाली आती है. मंगलवार के दिन आने वाली प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं| मंगलवार को आने वाली प्रदोष का सम्बन्ध राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी से है| जिस भी व्यक्ति को मंगल ग्रह से कष्ट हो या मंगल दोष हो, उस व्यक्ति को मंगल के दिन आने वाली प्रदोष का व्रत करना चाहिए| मंगल प्रदोष हर तरह के रोग से मुक्ति मिलती है| अथवा मंगल प्रदोष क़र्ज़ से छुटकारा भी दिलाती है|

बुधवार:- अगर बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो इसे करने से आपकी सभी कामनाएं सिद्ध होती हैं. बुधवार के दिन पड़ने वाली प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष कहा जाता है| इस प्रदोष का सम्बंन्ध भगवन शिव के पुत्र गणेश जी से होता है|जिस वभि व्यक्ति को ज्ञान व् बुद्धि को बढ़ाना हो उसके लिए सौम्यवारा प्रदोष कारगर होगी| यह प्रदोष ज्ञान व् शिक्ष में वृद्धि करता है|

गुरुवार:- बृहस्पतिवार के दिन पढ़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी शत्रुओं का नाश हो जाता है. गुरुवार के दिन आने वाली प्रदोष को गुरुवार प्रदोष कहा जाता है| गुरुवार के दिन आने वाली प्रदोष का सम्बंन्ध भगवन विष्णु और देव बृहस्पति से है| यह व्रत हर प्रकार के कार्य में सफलता दिलाता है| इस व्रत को करने से कुंडली में बृहस्पति मज़बूत होते है| यह व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाता है| इस व्रत को करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है|

शुक्रवार:- शुक्रवार के दिन पढ़ने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य वृद्धि का प्रतीक होता है. इस व्रत को करने से आपके वैवाहिक जीवन में कभी भी कोई भी समस्या नहीं आएगी और आपका दाम्पत्य जीवन हमेशा खुशहाल बना रहेगा.शुक्रवार के दिन पड़ने वाली प्रदोष का सम्बन्ध देव शुक्र से होता है और इसे भृगुवारा प्रदोष कहते हैं| यह व्रत अखंड सौभाग्य व् सुखद वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है| इस व्रत के फल बहुत ही शुभ होते है| यह व्रत हर तरह का सुख व् सम्पन्नता प्राप्त कराता है| जिस व्यक्ति को धन की समस्या हो तो उसके निवारण के लिए भृगुवारा प्रदोष का व्रत करना चाहिए|

शनिवार:- अगर शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो इस व्रत को करने से आपको पुत्र की प्राप्ति होगी. शनिवार को आनेवाली प्रदोष को शनि प्रदोष कहा जाता है| शनि प्रदोष भगवान् शिव के भक्त शनि देव से सम्बंन्ध रखती है| इस दिन जो भी मनुष्य व्रत रखता है उसे पुत्र प्राप्ति व् हर नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है| यह व्रत जीवन के हर लक्ष्य में सफलता दिलाने के लिए बहुत फलदायक है|

प्रदोष व्रत के अनन्य लाभ|