हरतालिका का अर्थ
अर्थ - हर का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी|
पूजा सामग्री:
गीली काली मिट्टी या बालू रेत या गौरी शंकर भगवान् की प्रतिमा। बेलपत्र, फल, फूल, दीपक, इत्र, चन्दन, रोली, मोली, जल, घी, कपूर, पंचामृत जरूर बनाएं. क्योंकि भोलेनाथ का इस दिन अभिषेक करना पड़ता है, नारियल पानी वाला, जनेऊ दो,पान पत्ते, मिठाई, धुप.
विधि:
1.स्नान कर व् सर धो कर के खुद को शुद्ध करें|
2.प्रदोष काल (दिन रात के मिलने का समय) में पूजा करे|
3.चौकी पर लाल कपडा बिछा के उस पर केले के पत्ते बिछाएं (केले के पत्ते बहुत ही पवित्र और शुभ माने जाते है क्यों की इसमें देव गुरु एवं विष्णु जी का निवास होता है)|
4.शिव परिवार या गौरी शंकर की गणेश जी सहित प्रतिमा स्थापित करें|
5.कलश स्थापना करें| एक लोटे में जल भरलें, उसके मुख पर श्रीफल रखें|लोटे और श्रीफल पर मोली बांधे अथवा स्वस्तिक बनाएं|
6.सबसे पहले गणेश जी को याद कर अपनी पूजा को स्वीकार करने की भगवान् से प्रार्थना करें| अपनी पूजा प्राम्भ करें गणेश वंदना के साथ|
7.गणेश पूजा के बाद, गौरी शंकर भगवान की संयुक्त पूजन करें|
8.सबसे पहले जल अर्पित करें|
9.शंकर भगवान् को पीला व् माँ गौरी को लाल वस्त्र अर्पित करें/अगर वस्त्र उपलब्ध न हो तो मोली(कलावे) को वस्त्र के रूप में अर्पित करें
10.भगवन शंकर को चन्दन व् रोली अर्पित करें|
11.माँ पार्वती को रोली का तिलक करें व् १६ श्रृंगार की वस्तएं अर्पित करें|(सिन्दूर, बिंदी, मंगलसूत्र, झुमकें, चूड़ियां, बिछिया, मेहँदी, पायल, नाथ (नोज पिन), महावर(आलता), लिपस्टिक, काजल, अंगूठी, तेल(हेयर आयल), क्रीम(फेस क्रीम). नेल पोलिश)
12.शंकर भगवान् को चन्दन का इत्र अर्पित करें एवं माँ गौरी को गुलाब का इत्र अर्पित करें|
13.फूल या फूलों की माला अर्पित करें| भगवान् गणेश को दूर्वा अर्पित करें|
14.फल मिठाईयों का भोग लगाएं| क्षमता अनुसार दक्षिणा अर्पित करें|
15.हरतालिका तीज की कथा पढ़ें और सर्व प्रथम गणेश जी की आरती करें गौरी शंकर भगवान् की पूजा करें और अंत में दोनों की कपूर से आरती करें|
16.पूजा संपन्न होने के बाद भगवान् की परिक्रम्मा करें|
17.ऐसी मान्यता है की रात्रि जग कर इस व्रत में जागरण पूजा उपासना की जाती है परन्तु आप अपनी क्षमता अनुसार रात्रि ध्यान पूजन कर आराम कर सकतें है|
18.अगले दिन शुद्ध हो सुबह की पूजा कर माँ पार्वती को सिन्दूर अर्पित करें| यह सिन्दूर व् गुलाब का इत्र सुहागिन खुद इस्तेमाल करे अथवा चन्दन का इत्र उनके पति इस्तेमाल करें| सुंगंध दोनों पति पत्नी के बीच प्रेम बनाएं रखने में कारगर होती है|
19.समस्त वस्तुएं भ्रामिन और भ्रामिणी को दान में दें|
20.परशाद खा कर व्रत का समापन करें|
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