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हरियाली तीज | Hariyali Teej on 27 Jul 2025 (Sunday)

 

जब बात होती है व्रत त्यौहारों की तो हरियाली तीज व्रत को सबसे मह्तवपूर्ण माना जाता है। इस सुख सौभाग्य वर्धक व्रत की महिमा अपरम्पार है। हर साल आने वाला ये व्रत त्यौहार महिलाओं के लिये बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि वह अपने जीवनसाथी की लंबी आयु के लिये ईशवर से कामना करती है। आइये जानते हैं कि क्या है हरियाली तीज व्रत का मह्तव और मान्यता और क्यों रखा जाता है ये व्रत -

क्या होता है हरियाली तीज व्रत को ऱखने से -

ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने यह व्रत भगवान शिव की प्राप्ति के लिये रखा था। जो स्त्री यह व्रत रखती है उसे संसार व स्वर्ग लोक के सभी प्रकार के सुख और वैभव प्राप्त होते हैं और साथ-ही-साथ उसका सुहाग अखण्ड रहता है।

सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज व्रत पूरे विधि-विधान से रखा जाता है।इस व्रत को पूरे नियम पालन के साथ रखने से व्रती स्त्री के सभी प्रकार के ज्ञात-अज्ञात पाप पूर्ण रुप से नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा आपको मनोंवांछित फल व शिव लोक की प्राप्ति होती है।

हरियाली तीज व्रत का महत्तव –

  •  हरियाली तीज व्रत कुवांरी कन्याएं के लिये काफी महत्तवपूर्ण मानी जाती है। इस दिन ईश्वर से सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछितसुशील और स्वस्थ जीवन साथी की प्राप्ति की कामना करती है
  • वहीं दूसरी ओर, विवाहित महिलाँए अपने जीवनसाथी की सुखसमृद्धि व दीर्घायु की कामना के उद्देश्य से इस व्रत को रखती हैं।

क्या है व्रत के नियम व अनुष्ठान -

  • इस व्रत में किसी भी प्रकार के अन्न को ग्रहण करने की मनाही है इसिलिये इसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है।
  • इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियां नित्य कर्म स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर वस्त्राभूषणों से श्रृंगार कर व्रत को पूरे नियमादि के साथ करने का संकल्प लेती है।
  • व्रत रखने के दौरान कोशिश करें कि किसी पर भी क्रोध नहीं करना है और किसी भी प्रकार के अन्नचायदूधफलजूस आदि को ग्रहण नहीं करना है।
  • व्रत को रखने के बाद सुबह, दोपहर या शाम को ईशवर की चर्चा व भजनकीर्तन आदि में लगे रहना चाहिए जिससे मन शांत ओर प्रसन्न रहता है।
  • शाम के समय माँ पार्वती व भगवान शिव की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करनी चाहिए। भगवान अर्थात् शिव व पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं, फल दक्षिणा अर्पित कर आरती करने का विधान है। इसके अलाव ईशवर की व्रत कथा सुनें और जाने-अनजाने हुये अपराध की क्षमा प्रार्थना करना ना भूले।
  • इसके बाद भगवान को प्रणाम करें और बड़ों व ब्राह्मणों को प्रणाम कर भोजन कराने के बाद दक्षिणा देंकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें।
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