Indian Festivals

होलिका दहन | Holika Dehan on 24 Mar 2024 (Sunday)

हिंदू धर्म में बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते हैं. इन सभी त्यौहारों में रक्षाबंधन, दशहरा, दिवाली और होली प्रमुख है. होली का उत्सव पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. होली रंगों का त्यौहार होता है. यह त्यौहार भगवान् कृष्ण को समर्पित है.  इस दिन लोग अपनी धर्म, जाति को भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाकर आपस में गले मिलते हैं. होली को प्रेम उत्साह और खुशहाली का त्यौहार भी माना जाता है. सभी लोग हर्ष और उल्लास के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं. सभी चौराहों पर होलिका सजाई जाती है. सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से होली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. एक तरफ होली पौराणिक और धार्मिक त्यौहार के रूप में मनाई जाती है, वही लोग इसे रंगो के सामाजिक त्यौहार के रूप में भी मनाते हैं.  होली के त्यौहार से 1 दिन पहले होलिका पूजन और दहन किया जाता है.  होलिका दहन को समाज और राष्ट्र के लिए हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आज हम आपको होलिका कथा और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं.

होलिका पूजन विधि :-
1- होली का पूजन करने के लिए फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन सुबह नहाने के बाद होलिका व्रत का संकल्प करें.

2- होलिका पूजन के लिए सबसे पहले पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर कर बैठे. गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाएं.

3- एक थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे और एक  लोटे में शुद्ध जल रखें.

4- अब नरसिंह भगवान का ध्यान करते हुए होलिका और प्रहलाद की मूर्ति पर रोली, मोली, चावल, बताशे और फूल चढ़ाएं.

5- अब इन सभी चीजों को लेकर होलिका दहन वाली जगह पर ले जाए.

6- होलिका दहन से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत को हाथ में लेकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए होलिका पर अक्षत अर्पित करें.

7- इसके बाद प्रहलाद का नाम लेकर फूल चढ़ाएं. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल अर्पित करें. हाथ में कच्चा सूत लेकर होलिका पर लपेटते हुए तीन परिक्रमा करें.

8- अब गोबर के उपले होलिका में डालें. अब  जल में गुलाल डालकर होलिका को अर्पित करें.

होलिका व्रत कथा :-

पुरानी कथाओं के अनुसार एक बार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत ही बलशाली राजा था. हिरण्यकश्यप को अपनी वीरता पर बहुत ही घमंड था और वह अपने आप को देवताओं से महान समझता था, परंतु हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का महान भक्त था. हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र की यह आदत बिल्कुल भी पसंद नहीं थी.  अपने पुत्र को भगवान विष्णु से दूर करने के लिए हिरण कश्यप ने बहुत सारे प्रयास किए, परंतु प्रहलाद के मन में भगवान विष्णु की भक्ति कम होने की जगह बढ़ती ही गई. अपने सभी प्रयासों में असफल होने के पश्चात हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाये.

होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था. अपने भाई हिरण्यकश्यप की बात मानकर  होलिका प्रहलाद को जलती हुई आग में लेकर बैठ गयी, परंतु भगवान विष्णु की कृपा से उस आग में होलिका स्वयं दहन हो गई और प्रहलाद उस जलती हुई अग्नि से सही सलामत वापस आ गए. उसी दिन से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.

आज भी हर साल होलिका जलाई जाती है. होली का त्योहार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इस दिन शाम के समय होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाते हैं . इस दिन सभी लोग अपने मन के सभी द्वेष भूलकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और आपस में गले मिलते हैं.

होलिका दहन का महत्व-

होलिका  दहन की लपटों को बहुत ही शुभकारी माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की अग्नि में मनुष्य की सभी चिंताएं जलकर नष्ट हो जाती हैं,मनुष्य के सभी  दुखों का नाश होता है, और मनोवांछित इच्छाओं के पूर्ण होने का वरदान प्राप्त होता है. होलिका दहन का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. मान्यताओं के अनुसार विधि विधान के द्वारा होलिका पूजन और दहन करने से सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. होलीका पूजा और दहन में परिक्रमा  को भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. परिक्रमा करते हुए यदि भगवान् से प्रार्थना करते हुए सच्चे मन से कुछ माँगा जाये तो वह इच्छा पूरी हो जाती है.
 
Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.