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मासिक शिवरात्रि कथा

कथा|

एक समय भगवान शिव बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए. उनके क्रोध की अग्नि में पूरा जगत नष्ट होने वाला था, पर माता पार्वती ने शिव जी का क्रोध शांत करके उन्हें प्रसन्न किया. इसी वजह से हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मनमुटाव हो गया. ब्रह्मा और विष्णु दोनों में से कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो जाता है. तब शिवजी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में उनके सामने प्रकट होते हैं और विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि मुझे इस अग्नि स्तंभ का कोई किनारा दिखाई नहीं दे रहा है. तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपने द्वारा की गई गलती का एहसास होता है और वह अपनी की गई गलती के लिए शिवजी से क्षमा याचना करते हैं. इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शिवरात्रि का व्रत करता है उसके अंदर का अहंकार नष्ट हो जाता है और मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागृत होता है. शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य के अंदर मौजूद विकारों का अंत हो जाता है. हिंदू धर्म में शिवरात्रि व्रत और पूजा का बहुत महत्व है. शिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म के सबसे बड़े व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन सभी शिव मंदिरों में शिव जी की खास पूजा की जाती है.