कैसे मनाई जाती है नारद जयंती-
• इस विशेष दिन पर मुख्य रूप से उत्तर भारत के क्षेत्रों में कई शैक्षणिक सत्र और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं.
• कर्नाटक में नारद मुनि के कुछ मंदिर भी हैं जो अत्यधिक लोकप्रिय हैं. इन मंदिरों में नारद जयंती के दिन महान उत्सव आयोजित किए जाते हैं.
नारद जयंती पूजन विधि-
• कर्णाटक चिगेटेरी और कोरवा में नारद मुनि का मंदिर स्थित हैं.
• नारद जयंती के दिन विशाखापट्टनम के हिंदू महीने में ऋषि नारद की जयंती के रूप में मनाया जाता है.
• श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं. पवित्र ग्रंथों के पाठ के साथ अनुष्ठान और विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं.
• इस दिन सभी भक्त प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं.
• इस दिन मंदिरों में विशेष भोज का आयोजन किया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है.
• नारद जयंती के दिन सभी भक्तों को पवित्र जल में स्नान करना चाहिए.
• इस दिन भगवान् विष्णु और नारद मुनि की पूजा शुद्ध हृदय और मन से की जानी चाहिए.
• अन्य हिंदू त्योहारों के समान, इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र स्नान करना उत्तम माना जाता है.
• जो भी श्रद्धालु नारद जयंती के दिन उपवास करते हैं उन्हें इस दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
• शास्त्रो के अनुसार नारद जयंती के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है. रात्रि जागरण संभव न हो तो संध्या काल पूजन अवश्य करें|
• नारद जयंती के दिन विष्णु सहस्रनाम' का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है.
• पूजा समाप्त होने के पश्चात् भक्त भगवान विष्णु की आरती करते हैं.
• भगवान् विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन सभी भक्तों को काशी विश्वनाथ के दर्शन करने चाहिए.
• नारद जयंती दिन गरीबो और ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करने चाहिए.