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सप्तम नवरात्रा - माँ कालरात्रि

सातवां दिनः सप्तम् नवरात्रा।
तिथिः षुक्ल दषमी
माहः चैत्र
ऋतुः वसन्त
पूजा का समय: प्रातःकाल से।
सातवें दिन की देवीः माँ कालरात्रि हैं।

परम कृपालु भवानी कालरात्रि सबके लिए घातक काल को भी मारने वाली हैं। राक्षस व दानव समूहों को नष्ट करने वाली है। अर्थात् काल की भी रात्रि जिसके कारण माँ कालरात्रि से इस संसार मे विख्यात हुई। भगवती कालरात्रि की पूजा अर्चना से व्यक्ति बड़ी से बड़ी पीड़ाओं से मुक्ति पाता है और काल की प्रेरणा से प्रेरित अकाल मृत्यु से रक्षित होता है। इन माँ का चिंतन परम कल्याणकारी है।

माँ कालरात्रि का रूप इस ष्लोक से स्पष्ट हैः-
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।              
उपरोक्त षोडषोपचार विधि से सातवें दिन भी पूजा बडे श्रद्धा भक्ति से की जाती हैं और स्थापित कलष, दीप और अन्य प्रतिष्ठित वेदियों और देवी प्रतिमा में पूर्व दिन मे चढ़ाई गयी पुष्पादि साम्रगी उतार लें और उपरोक्त क्रम को दोहराते हुए श्रद्धा, भक्ति पूर्वक हांथ जोड़कर पूजा आराधना तथा आरती करें और पूजा सम्पन्न होने के बाद प्रसाद आदि वितरित करें।