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परशुराम द्वादशी पूजन विधि

परशुराम द्वादशी पूजन विधि-

 
• उगता हुआ सूर्य परशुराम द्वादशी की शुरुआत का संकेत देता है. 

• परशुराम द्वादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है. 

• स्नान करने के बाद उपवास शुरू होता है. 

• परसुराम भगवन विष्णु के ही अवतार हैं| आप भगवान् विष्णु जी की प्रतिमा को परशुराम के रूप में ही पूजा करने के लिए स्थापित करें|

• मान्यताओं के अनुसार व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति रात भर जाग कर भगवान् परशुराम का ध्यान करते हैं. परन्तु संभव न हो तो आप संध्या काल में एक बार पूजन अवश्य करें|

• ऐसी मान्यता है कि परशुराम द्वादशी व्रत का पालन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

• परशुराम द्वादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का जप करना शुभ माना जाता है. 

• अगले दिन स्नान आदि कर भगवान् परशुराम का पूजन करें और ब्राह्मण, ज़रुरत मंद, को दान दक्षिणा देने के पश्चात अपने उपवास का पारण करें|

• मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति परशुराम द्वादशी का व्रत और पूजा करता है उसे शिक्षा और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है इसके अलावा वह इस लोक के सुखो को भोग कर मृत्यु के पश्चात् स्वर्गलोक में भी स्थान प्राप्त करता है.
 
 
 
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