रूक्मिणी माता जी आरती
जय रूक्मिणी माता, मइया जय रूक्मिणी माता ।
द्वारका धाम की देवी, शुभ फल की दाता ।।
जय रूक्मिणी माता
प्रभु कुल पद्मनिवासनी, जय सेवक त्राता।
जग, जीवन, अवलंबा, मंगल गुण गाता।
जय रूक्मिणी माता।
समसाजे द्वारिकानाथ संग, मइया कुंडलयुक्त साथा।
देववधु जहां गावत, नित करत ताथा।
जय रूक्मिणी माता।
द्वापर रूप श्रील अति सुंदर, जग की माता कहलाता
भीष्मक राज घर जन्मी, सखियन रंग राता।
जय रूक्मिणी माता।
अनुज वधु हलधर की, प्रद्युम्न की माता
देव अरज करत हैं, देवियां संग गाता।
जय रूक्मिणी माता।
आरती प्रेम सुने सुकरी, भाग्य उदय हो जाता ।
सुख संपदा की देवी, चौदिशा विख्याता।
जय रूक्मिणी माता।
ज्योति जगा कर नित्य, आरती जो कोई गाता।
भवसागर के दुख में, गोता कभी ना खाता।
जय रूक्मिणी माता।
जय रूक्मिणी माता, मइया जय रूक्मिणी माता।
द्वारका धाम की देवी, शुभ फल की दाता ।।
जय रूक्मिणी माता।
बोलो रूक्मिणी मइया की जय।