Indian Festivals

सत्य नारायण पूजन विधि|

पूजा की सामग्रीः-
केले के खम्बे, फल (कदली स्तम्भ), पान व आम के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलाइची, कलश, चावल, धूप, दीप, रूई, देसी घी, सुगंधित पुष्पों की माला, गुलाब के फूल, हल्दी, यज्ञोपवीत, वस्त्र, मलयागिरि चंदन, पांच रतन, कपूर, रोली, मौली, स्वर्ण प्रतिमा, शुद्ध व पवित्र जल, गंगाजल, पंचामृत- दूध, शहद, दही, घी, चीनी, तुलसी दल, पांच प्रकार के फल व पंच मेवा। 
 
प्रसादः - गेंहू के आटे (गोमधूचूर्ण) को जिसे देसी घी में भूनकर व शक्कर से भली-भांति मिलाकर बनाएं।
 
पूजन विधिः - प्रातः या सायंकाल पूर्णिमा, संक्राति तिथि या फिर किसी भी दिन श्रद्धा विष्वास के साथ इस व्रत कथा का संकल्प लिया जा सकता है। विवाहोपरान्त अर्थात् नववधू के आने पर व अन्य अवसरों पर इस कथा को विधिपूर्वक कहा या सुना जा सकता है। किन्तु सभी अवसरों पर स्नानादि नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर पूर्व या उत्तर दिषा की ओर मुंह करके पूजा स्थल पर शुद्ध आसन बिछाकर बैंठे। फिर श्रीगणेश, गौरी, वरूण, विष्णुादि सब देवताओं का ध्यान व पूजा करें। कि मैं श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा कथा सदैव श्रवण करूंगा। विवधि प्रकार के फल, फूल, गंध, धूप, दीप, नैवेद्य, वस्त्राभूषण, यज्ञोपवीत, द्रव्य (पैसा) अर्पित कर भगवान सत्य नाराण से प्रार्थना करें कि हे अन्नत ईष्वर! मैनें जो श्रद्धा भक्ति व विष्वास द्वारा जो सामग्री भेंट की हैं उसे स्वीकार करें, आपको मेरा बारम्बार नमस्कार है, नमस्कार है। ऐसा कहते हुए कथा सपरिवार सुननी या पढ़नी चाहिए।
 
यह कथा सात अध्याय की हैं, जिसमे पांच अध्याय ही प्रमुख रूप से कहे जाते हैैं। कथा बड़ी ही रोचक व सुन्दर है जिसे आप किसी भी मंदिर या दुकान या संबंधित व्यक्ति से प्राप्त कर सकते हैं।