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स्कन्द षष्टी कथा

स्कन्दा पुराण १८ महापुराणों में से एक है| इसके अनुसार सुरपदमा,सिंहमुखा,तारकासुर के राक्षसों ने देव लोक पर कब्ज़ा कर हा हा कार मचा दी, देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार करा| तथा पूरे देव लोक को तेहेस नेहेस करदिया| तब देव भगवान् शिव के पास सहायता के लिए गए, परन्तु भगवान् शिव ध्यान में लीन थे| परन्तु ब्रह्मा जी के सलाह अनुसार, देवो ने कामदेव की सहायता से शिव ध्यान भंग करने के लिए उनके मन में पारवती के प्रति काम भाव जागरूक किया| जिस से क्रोधित हो भगवान् शिव की तीसरी आँख ने कामदेव को भस्म करदिया| शिव के शरीर से निकला वीर्य हिस्सों में बंटा और गंगा के तट पर गिरा| और इसके प्रभाव से बच्चो का जन्म हुआ| यह बच्चे कृतिकाओं के द्वारा जीवित रहे| कुछ समय पश्चात पार्वती ने बच्चों के शरीर एकत्र कर एक करदिया जिससे कार्तिके का नाम दिया गया| जब कार्तिके को देवताओं पर हो रहे अत्याचार का आभास हुआ, तब उन्होंने तारकासुर का वध कर देव लोक को असुरों से मुक्त कराया इस दिन के सन्दर्भ में मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी|