तारा जयंती, मां तारा की पूजा
क्या है तारा जयंती-
पूरे देश में तारा जयंती को बहुत ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. तारा जयंती को चैत्र माह की नवमी तिथि तथा शुक्ल पक्ष के दिन मनाया जाता है. विशेष रूप से तंत्र मन्त्र की साधना करने वाले लोगों के लिए तारा जयंती के दिन माँ तारा की उपासना सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है. माँ तारा को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता हैं.शास्त्रों में देवी तारा को सूर्यप्रलय की अघिष्ठात्री देवी का उग्ररुप बताया गया है|
तारा जयंती का महत्व-
चैत्र माह की नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष के दिन माँ तारा की पूजा करने का नियम है. देवी तारा मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी मुश्किलों, संकटों और परेशानियों से छुटकारा दिलाती हैं. मां तारा की साधना को पूर्ण रूप से अघोरी साधना माना जाता है. अगर कोई मनुष्य तारा जयंती के दिन माँ तारा की साधना करता है तो उसे लौकिक सुख के साथ साथ सुख शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है. जो भी व्यक्ति सच्चे मन से तारा जयंती के दिन माँ तारा की साधना करता है माँ तारा उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. इसके अलावा तारा जयंती के दिन माँ तारा की पूजा करने से धन से जुडी समस्याओं का भी अंत हो जाता हैं. माँ तारा को मुक्ति प्रदान करने वाली देवी भी माना जाता हैं.
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