Indian Festivals

यमुना छठ| Yamuna Chhath on 13 Apr 2024 (Saturday)

यमुना छठ का महत्व-

यमुना छठ के पर्व को प्रमुख रूप से मथुरा-वृंदावन में मनाया जाता है. यह त्यौहार देवी यमुना के धरती पर अवतरित होने का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन को यमुना जयंती या देवी यमुना छठ के रूप में भी मनाया जाता है. यमुना छठ का पर्व चैत्र मॉस में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है. यह पर्व चैत्र नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है. देवी यमुना भगवान श्री कृष्ण की पत्नी थी इसीलिए  यमुना छठ के पर्व को ब्रज के लोग बहुत ही श्रध्दा पूर्वक मनाते हैं. यही कारण है कि यमुना छठ का पर्व प्रमुख रूप से मथुरा और वृंदावन में मनाया जाता है. इस बार यमुना छठ का पर्व 30 मार्च के दिन मनाया जायेगा.

यमुना छठ के लाभ-

• यमुना सूर्य देव की पुत्री और यमराज की बहन हैं, शनि देव भी यमुना के ही भाई हैं

• मान्यताओं के अनुसार यमुना छठ के दिन यमुना नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते हैं और उसे मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है

• ब्रिज में यमुना नदी को माता के रूप में माना जाता है

• गर्ग संहिता के अनुसार जब भगवान् विष्णु जी ने कृष्ण अवतार लिया था तब उन्होंने माता लक्ष्मी जी से पृथ्वी पर राधा के रूप में जन्म लेने के लिए कहा था. तब माँ लक्ष्मी ने विष्णु जी से यमुना को भी पृथ्वी पर भेजने के लिए कहा और तभी पृथ्वी पर य़मुना नदी अवतरित हुई.  

यमुना छठ पूजन विधि-

• यमुना छठ के दिन व्रत रखने का नियम है

• इस दिन सभी लोग श्रद्धा पूर्वक यमुना नदी में स्नान करते हैं

• मान्यताओं के अनुसार इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है

• यमुना छठ के दिन संध्या काल के समय यमुना नदी की पूजा और आरती करने के पश्चात् यमुना अष्टक का पाठ किया जाता है

• यमुना अष्टक का पाठ करने के बाद यमुना जी को भोग लगा कर, दान पुण्य आदि करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है

• शास्त्रों में बताया गया है की भगवान् कृष्ण ने अपने जीवन के अंतिम समय में गुजरात में बिताये थे

• इसीलिए गुजरात में भी यमुना छठ के इस पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास और धूम धाम के साथ मनाया जाता है

• यमुना छठ के दिन गुजराती समुदाय के लोग यमुना जी में स्नान करने के लिए मथुरा आते हैं और कलश में यमुना नदी के जल को भरकर अपने साथ ले जाते हैं

• ये लोग यमुना नदी के जल को अपने घर और गांव में वैदिक मंत्रों द्वारा खोल कर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है और लोगों में वितरित करते हैं

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