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यमुना छठ के बारे में रोचक तथ्य

यमुना छठ के बारे में रोचक तथ्य – 

यह पर्व साल में दो बार बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। एक बार कार्तिक महीने में और दूसरी बार चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यमुना छठ मनाया जाता है। 
यमुना छठ को यमुना जयंती के नाम से भी भारतवर्ष में मनाया जाता है।यह त्यौहार मां यमुना के जन्मदिन को तौर पर मनाया जाता है और इस शुभ दिन पर भक्त यमुना नदी में स्नान करते है और फिर मां यमुना को विविध प्रकार के व्यंजन चढ़ाते हैं और उनकी पूजा कर आशीष लिया जाता है।
इस दिन यमुना जी ही नहीं बल्कि भक्त भगवान कृष्ण जी की पूजा भी बहुत ही श्रद्धा के साथ करते हैं। कुछ भक्त यमुना छठ पर बहुत ही कठिन व्रत भी करते हैं ताकि उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त हो। 
इस दिन भक्त सुबह और शाम दोनों ही समय यमुना जी की पूजा बहुत ही श्रद्धा से करते हैं और इस व्रत को अगले दिन 24 घंटे के बाद उपवास तोड़ा जाता है।
इस दिन महिलाएं घर में विभिन्न तरह के मिष्ठान भी तैयार करती है और देवी यमुन को चढाये जाते है। और फिर इन्हें ही प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।
•इस पवित्र नदी को यमुना के अलावा जमुना के नाम से भी पूरे संसार में जाना जाता है और इसका स्रोत दक्षिणी हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर को माना गया है।
•इसके बाद ये नदी पूर्वी और पश्चिमी यमुना नहरों में विभाजित हो जाती है और उसके पश्चात इस नदी का बड़ा हिस्सा मां गंगा में मिल जाता है।
 
क्या है वर्तमान में यमुना नदी की स्थिति

•क्योंकि बहुत सारा कचरा इस नदी में डाला जाता है इसिलिये अब यमुना को संसार की बहुत ही प्रदूषित नदियों में से एक है।
•यमुना के पानी में भारी मात्रा में प्रदूषण पाया जाता है और ये विशेष तौर पर नई दिल्ली के आसपास बहुत ही ज्यादा मैली हो चुकी है।
•अभी तक यमुना मैया की सफाई के लिये बहुत से उपाय किए गए हैं किंतु बहुत ही अधिक सफलता नही मिली है।
•यमुना नदी को अब गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी के रुप में जाना जाता है।
आगरा शहर इसी नदी के किनारे बसा हुआ है और ताजमहल भी इसी के किनारे बसा हुआ है।

कहना गलत ना होगा कि भारतीय संस्कृति में यमुना नदी का हमेशा से ही बहुत विशेष स्थान रहा है। लेकिन आज हम सभी इसका मोल भूल चुके है और इसीलिये आज यह एक बहुत ही प्रदुषित नदियों में से एक मानी जाती है। यदि हमने जल्दी ही कोई विशेष कदम नहीं उठायें तो संभावना है कि हमारी आने वाली पीढीया इस नदी को नही पहचाना पायेगी। हमारी युवा पीढी के लिये हमें जल्द ही कुछ सोचना होगा।

ऐसा कहा जाता है कि सभी जगहों का अपना एक विशेष महत्व होता है और हमें इन आध्यात्मकि शक्तियों की सदैव सम्मान और अराधना करनी चाहिये। ये नकारात्मकता को दूर भगाती है और आपको अंदर से मजबूत महसूस कराती है। यह आपके अशांत जीवन में शांति का प्रवाह कराती है।