Indian Festivals

महाशिवरात्रि पर इन तरीकों से करें महादेव की पूजा

महाशिवरात्रि पर इन तरीकों से करें महादेव की पूजा

महाशिवरात्रि हिंदुओं का मुख्य त्योहार माना जाता है. इस दिन शंकर भगवान की पूजा की जाती है. फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि सृष्टि के आरंभ में इसी दिन आधी रात के समय भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र में परिवर्तन हुआ था. इसके अलावा हर महीने की कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिव भक्त मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाते हैंशास्त्रों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन अर्धरात्रि के समय भगवान शिव परम ज्योतिर्लिंग के रूप में परिवर्तित हो गए थे. इसलिए इस दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं. सिद्धांत शास्त्रों में बताया गया है कि जब प्रदोष काल रात्रि की शुरुआत और अर्धरात्रि के समय चतुर्दशी रहती है उस दिन शिवरात्रि का व्रत किया  जाता है



महाशिवरात्रि पूजन विधि-


1- शिवरात्रि के दिन प्रदोष काल में या आधी रात के समय स्नान करने के बाद पारद शिवलिंग या स्फटिक शिवलिंग की स्थापना करें. अब गंगाजल, यदि आपके पास गंगाजल नहीं है तो शुद्ध जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं


2- अब दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से भगवान शिव को स्नान कराएं


3- इसके बाद भगवान शिव को चंदन लगाकर फूल, बिल्वपत्र चढ़ाएं. इसके बाद धूप, दीप से भगवान शिव की पूजा करें, यदि आप शीघ्र फल पाना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन  शिवलिंग के सामने बैठकर नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी एक मंत्र की एक माला जाप करें


ओम नमः शिवाय 


ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र प्रचोदयात


ओम त्र्यंबकम यजा महे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्



महाशिवरात्रि व्रत कथा


• शास्त्रों के अनुसार बहुत समय पहले वाराणसी के जंगलों में एक भील निवास करता था. इस भील का नाम गुरुद्रुह  था. भील जंगली जानवरों का शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था


• एक बार शिवरात्रि के दिन भील शिकार करने के लिए जंगल गया. उस दिन भील को कोई भी शिकार नहीं मिला तो वह एक झील के किनारे एक पेड़ पर चढ़ गया और सोचने लगा कि अगर कोई जानवर पानी पीने आएगा तब वह उसका शिकार कर लेगा


• जिस पेड़ पर भील चढ़ा था वह एक बिल्ववृक्ष था और उस पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना की गई थी. कुछ समय के पश्चात झील के किनारे एक हिरणी पानी पीने के लिए आई


• जैसे ही शिकारी ने हिरनी को मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते टूटकर शिवलिंग पर गिरे. बिल्वपत्र के शिवलिंग पर गिरने की वजह से अनजाने में ही रात के पहले पहर में भील के द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई और हिरनी भी वहां से भाग गई


• थोड़ी देर के पश्चात एक दूसरे हिरनी झील के किनारे आई. शिकारी ने फिर से धनुष पर बाण चढ़ाया. इस बार एक बार फिर से बिल्ववृक्ष के पत्ते टूटकर शिवलिंग पर गिरे और फिर से अपने आप शिवलिंग की पूजा हो गई. यह देखकर दूसरी हिरणी भी वहां से भाग गई


• इसके पश्चात हिरनी के परिवार का एक दूसरा हिरण वहां आया. एक बार फिर से वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी अपने आप शिवलिंग की पूजा हो गई. वह हिरण भी वहां से भाग गया


• अब हिरण अपने पूरे परिवार के साथ झील के किनारे पानी पीने आया. इतने सारे हिरणों को देखकर शिकारी बहुत प्रसन्न हुआ और उसने फिर से धनुष पर अपना बाण चढ़ाया. जिससे चौथे प्रहर में एक बार फिर से शिवलिंग की पूजा हो गई


• इसी प्रकार शिकारी पूरा दिन भूखा प्यासा रह कर रात भर जागता रहा और रात के चारों पैरों में अनजाने में उससे शिवजी की पूजा हो गई


• जिससे उस शिकारी का शिवरात्रि का व्रत सफलता पूर्वक पूर्ण हो गया. इस व्रत के प्रभाव से शिकारी के सभी पाप नष्ट हो गए और उसे पुण्य प्राप्त हुआ


• शिकारी ने हिरणो को मारने का ख्याल छोड़ दिया. तभी शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट होकर शिकारी से बोले कि मैं तुमसे प्रसन्न हूं और उन्होंने शिकारी को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर पधारेंगे और तुम्हारे साथ मित्रता निभाएंगे. तुम्हें मोक्ष भी मिलेगा


• इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत के प्रभाव से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान किया.


शिवरात्रि का महत्व  


• शिवरात्रि के दिन पूरा दिन व्रत करके श्रद्धा पूर्वक भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उसके जन्म जन्मांतर के पाप दूर हो जाते हैं


• शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य इस लोक में सुख पूर्वक रहकर अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है


• यदि आप व्रत करने में असमर्थ हैं तो शिवरात्रि के दिन पूरा दिन व्रत करने के बाद शाम के समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करके अपना व्रत खोल सकते हैं


• श्रद्धा पूर्वक व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. शिवरात्रि के दिन पूरी रात जागरण करके भगवान शिव की भक्ति करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं


शिवरात्रि से जुडी खास बाते-


• महाशिवरात्रि की रात महा सिद्धिदात्री मानी जाती है. इस समय किए गए दान, शिवलिंग की पूजा और स्थापना का बहुत महत्व होता है


• शिवरात्रि की रात में आप स्फटिक या पारद शिवलिंग को अपने घर या व्यवसाय स्थल पर स्थापित कर सकते हैं.  


• शास्त्रों में पारद शिवलिंग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. यह एक प्रकार की धातु होती है जिससे शिवलिंग बनाया जाता है


• पारद शिवलिंग को शिव पुराण में भोलेनाथ का वीर्य बताया गया है. वीर्य एक प्रकार  का बीज होता है जो संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का कारक होता है


• पारद का भोलेनाथ से सीधा संबंध होने की वजह से यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यदि आप श्रद्धा पूर्वक पारद शिवलिंग का दर्शन करते हैं तो इससे आपको अतुल्य पुण्य फलों की प्राप्ति होती है


• गृहस्थ लोगों के लिए पारद के साथ-साथ स्फटिक  शिवलिंग की पूजा और स्थापना भी बहुत अच्छी मानी जाती है. स्फटिक शिवलिंग की पूजा, अभिषेक और दर्शन करने से कभी भी धन की कमी नहीं होती है और आपका स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है

Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.