जब भी हम सभी हनुमान जी का नाम या उनकी पूजा उपासना करते है तो सबसे पहले हम सभी के ध्यान में यह अवश्य आता है की हनुमान जी एक ब्रह्मचारी थे। अवश्य ही हनुमान एक ब्रह्मचारी थे परन्तु हम अक्सर हनुमान जी के ब्रह्मचर्य को उनके अविवाहित होने से जोड़ने लगते है। ब्रह्मचारी अर्थात जो आजीवन किसी भी तरह की यौन गतिविधियों से दूर रहे। हनुमान जी एक ब्रह्मचारी अवश्य ही थे परन्तु वे अविवाहित नहीं थे। मान्यताओं के अनुसार जिस समय हनुमान जी अपने गुरु देव सूर्य से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब सभी शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी परन्तु सिर्फ एक ही शिक्षा बाकी थी जिसके लिए हनुमान जी का विवाहित होना आवश्यक था। यह जान ब्रह्मचर्य का प्रण ले चुके हनुमान जी एक धर्म संकट में पड़ गए। यह एक ऐसा संकट था की यदि वे अपने संकल्प को तोड़े तो भीअनर्थ या शिक्षा बीच में छोड़े तो भी। उनको इतनी दुविधा में देख देव सूर्य ने हनुमान जी को अपनी पुत्री सुवर्चला से विवाह करने को कहा। सुवर्चला खुद भी एक तपस्विनी थी जो हनुमान जी से विवाह करने के उपरांत वापस तपस्या करने चली गयीं।और हनुमान जी ने वहीँ सूर्यदेव से अपनी बाकी की शिक्षा प्राप्त करी।