कैसे हुआ भगवान् श्री राम के परम भक्त हनुमान का जन्म
हनुमान माँ अंजना व् पिता केसरी के पुत्र थे। मान्यताओं के अनुसार, एक बार राजा दशरथ पुत्र प्राप्ति की कामना के चलते "पुत्रकामेष्टि यज्ञ" कर रहे थे। इस यज्ञ के प्रभाव से राजा दशरथ को एक प्रसाद प्राप्त हुआ जिसे उन्हें अपनी तीनो रानियां (कौशल्या, सुमित्रा तथा कैकेयी) को खिलाना था। इस से पहले की यह प्रशाद उनकी रानियों तक पहुँचता उससे पहले ही उसका कुछ भाग एक पक्षी ने लेजा कर जहाँ माँ अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान् शिव का पूजन कर रहीं थीं वहां डाल दिया और माँ अंजनी ने प्रशाद के रूप में उसे ग्रहण किया जिसके परिणाम स्वरुप उन्होंने गर्भ धारण कर भगवान् श्री हनुमान को जन्म दिया।
अंजनी और केसरी के घोर तपस्या व् कईं वर्षो तक भगवान् शिव की आराधना करने के उपरान्त व् भगवान् शिव के आशीर्वाद व् वरदान फल स्वरुप ही माँ अंजना को हनुमान पुत्र प्राप्त हुए, इसी कारण हनुमान जी को भगवान् भोले के अवतार के रूप में पूजा जाता है।
माँ अंजना ने जिस प्रशाद को ग्रहण कर गर्भ धारण किया था वह प्रशाद वायु देव की सहायता व् वायु मार्ग द्वारा ही दशरथ जी के यज्ञ से लेकर अंजना तक पहुँचाया गया था इसी कारण हनुमान जी का एक नाम वायु पुत्र भी है।
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