कैसे मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती ?
• छिन्नमस्ता जयंती के शुभ दिन पर, भक्त देवी छिन्नमस्तिका की पूजा और आराधना करते हैं.
• इस दिन छोटी कन्याओं का भी पूजन किया जाता है और उन्हें पवित्र भोजन खिलाया जाता है. क्योंकि छोटी कन्याओं को देवी का अवतार माना जाता है.
• छिन्नमस्ता जयंती के दिन मंदिरों और पूजा स्थल पर, कीर्तन और जागरण आयोजित किए जाते हैं.
• इस दिन सभी भक्त बहुत उत्साह और समर्पण के साथ छिन्नमस्ता पूजा करते हैं.
माँ छिन्नमस्ता पूजन विधि-
• छिन्नमस्ता जयंती के दिन भक्त प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं.
• छिन्नमस्ता जयंती के दिन भक्त पूरा दिन उपवास करते हैं.
• छिन्नमस्ता जयंती के दिन देवी छिन्नमस्ता की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम अपने घर के पूजा कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए.
• अब अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखे. इस चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़क इसे शुद्ध कर ले.
• अब इस चौकी पर एक लाल रंग का कपडा बिछाएं.
• अब इसके ऊपर माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें| माँ छिन्नमस्ता माँ दुर्गा का उग्र्र स्वरुप है, इनकी पूजा सामान्य विधि से नहीं की जाती | माँ छिन्नमस्ता जी की पूजा किसी विद्वान पंडित के नेतृत्व में ही की जनि चाहिए|
• अब देवी के सामने गाय के घी का दीपक और धूप जलाएं.
• अब फूल, नारियल और माला के साथ माँ की पूजा करे.
• अब माँ दुर्गा को प्रसाद अर्पित करें.
• पूजा करने के पश्चात् देवी छिन्नमस्ता को हाथ जोड़ माँ दुर्गा से अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें|
• माता की आरती करने के बाद परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है.
• छिन्नमस्ता जयंती के दिन दान और पुण्य को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.