पुराने समय में भगवान विष्णु पृथ्वी पर घूमने के लिए जा रहे थे। तब माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ जाने का अनुरोध किया। तब भगवान विष्णु ने कहा कि अगर आप मेरे द्वारा कही गई बात मानेगी तभी आप मेरे साथ घूमने चल सकती हैं। लक्ष्मी जी ने उनके आग्रह को स्वीकार किया और भगवान विष्णु के साथ धरती पर विचरण करने आ गयी। थोड़ी देर घूमने के बाद भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं वापस नहीं आऊं तब तक तुम यहीं पर रहन। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं। तुम मेरे पीछे मत आना। ऐसा कहने के पश्चात जब विष्णु जी चले गए तो मां लक्ष्मी के मन में यह विचार आया कि भगवान विष्णु दक्षिण दिशा में क्यों गए हैं। ऐसा कौन सा रहस्य है जो उन्होंने मुझे आने से मना किया और खुद चले गए। लक्ष्मी जी अपने कौतूहल को वश में नहीं कर पायी और भगवान विष्णु के पीछे पीछे चल पड़ी। थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें एक सरसों का खेत दिखाई दिया। जहां पर सरसों के पीले रंग के बहुत सारे फूल लगे थे। सरसों की खूबसूरती को देखकर लक्ष्मी जी मोहित हो गई और फूलों को तोड़ कर अपना श्रृंगार करने लगी। श्रृंगार करने के बाद जब लक्ष्मी जी आगे बढ़ी तब उन्हें रास्ते में एक गन्ने का खेत दिखाई दिया। लक्ष्मी माता गन्ने तोड़ कर खाने लगी उसी समय भगवान विष्णु वापस आए और लक्ष्मी जी को वहां देखकर बहुत ही क्रोधित हुए। क्रोध में आकर उन्होंने मां लक्ष्मी को श्राप दिया कि मैंने तुम्हें अपने पीछे आने से मना किया था पर तुमने मेरी बात नहीं मानी और किसान के खेत में लगे हुए गन्ने की चोरी का पाप कर बैठी। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम पूरे 12 सालों तक किसान की सेवा करनी पड़ेगी। श्राप देने के बाद भगवान विष्णु मां लक्ष्मी को वहीं छोड़कर क्षीरसागर चले गए। भगवान विष्णु के जाने के बाद मां लक्ष्मी उस गरीब किसान के घर पर निवास करने लगी। एक दिन लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा कि तुम नहाने से पहले मेरी बनाई गई देवी लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करो। उसके बाद ही खाना बनाना। ऐसा करने से तुम्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होगी। किसान की पत्नी ने लक्ष्मी जी के कहे अनुसार वैसा ही किया। माँ लक्ष्मी की पूजा के असर से किसान के घर में अन्न, रत्न, स्वर्ण आदि की भरमार हो गई। मां लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। 12 साल का समय देखते देखते बीत गया। 12 वर्षों तक किसान के घर में धन धान्य भरा रहा। जब 12 सालों का समय पूरा हो गया तब भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को लेने आए। तब किसान ने उन्हें भेजने से मना कर दिया। तब भगवान विष्णु ने किसान से कहा कि माता लक्ष्मी को कोई नहीं रोक सकता है। यह कभी भी एक जगह नहीं ठहरती है। इन्हें मैंने श्राप दिया था। इसीलिए यह 12 वर्षों से तुम्हारे घर में रह रही थ। अब 12 वर्ष का समय पूरा हो चुका है। इसलिए इन्हें जाने दो पर किसान जिद में आकर बोला कि मैं लक्ष्मी जी को कहीं नहीं जाने दूंगा। तब माता लक्ष्मी ने कहा अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो तो मेरी कही बात को पूरा करो। कल तेरस का दिन है कल के दिन अपने घर को अच्छी तरह से साफ सुथरा करके रात के समय घी का दीपक जलाकर मेरी पूजा करो और एक तांबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना। मैं उसी कलश में निवास करूंगी। धनतेरस पर पूजा करते समय मैं तुम्हें नजर नहीं आऊंगी। धनतेरस के दिन सिर्फ एक दिन की पूजा करने से मैं पूरे साल मैं तुम्हारे घर में ही निवास करूंगी। ऐसा कहकर माता लक्ष्मी दीपक की रोशनी के साथ सभी दिशाओं में फैल गई। अगले दिन किसान ने लक्ष्मी जी के कहे अनुसार पूरे विधि-विधान से पूजा की , ऐसा करने से उसका घर धन-धान्य और खुशहाली से भर गया।