दिवाली का त्यौहार3 दिनों का होता है. धनतेरस,रूप चौदस और दिवाली. कार्तिक कृष्णत्रयोदशी के दिनधनतेरस की पूजा की जातीहै. धनतेरस केदिन भगवान कुबेरकी पूजा करनेका विधान है.भगवान कुबेर धनसंपत्ति और वैभव के देवताहै. धनतेरस कीपूजा करने से देवताओं के वैद्यधन्वंतरि निरोगी कायाप्रदान करते हैंऔर अकाल मृत्युके डर को खत्म करतेहैं. हमारे धर्मपुराणों में धनतेरसकी पूजा को बहुत हीमहत्वपूर्ण और कल्याणकारीबताया गया है. धनतेरस कोधनत्रयोदशी भी कहाजाता है. इस दिन धन्वंतरीऔर धन के देवता कुबेरकी पूजा की जाती है.इसके अलावा इसदिन धनतेरस केदिन मां लक्ष्मीकी पूजा का भी बहुतमहत्व होता है.धनतेरस की एक कथा बहुतही मशहूर है.
धनतेरस की कथा-
पुराने समय मेंभगवान विष्णु पृथ्वीपर घूमने केलिए जा रहे थे. तबमाता लक्ष्मी नेभी उनके साथजाने का अनुरोधकिया. तब भगवानविष्णु ने कहा किअगर आप मेरे द्वारा कहीगई बात मानेगीतभी आप मेरे साथ घूमनेचल सकती हैं.लक्ष्मी जी ने उनके आग्रहको स्वीकार कियाऔर भगवान विष्णुके साथ धरतीपर विचरण करनेआ गयी. थोड़ीदेर घूमने केबाद भगवान विष्णुने लक्ष्मी जीसे कहा कि जब तकमैं वापस नहींआऊं तब तक तुम यहींपर रहना. मैंदक्षिण दिशा की ओर जारहा हूं. तुममेरे पीछे मत आना. ऐसाकहने के पश्चातजब विष्णु जीचले गए तो मां लक्ष्मीके मन में यह विचारआया कि भगवानविष्णु दक्षिण दिशामें क्यों गएहैं. ऐसा कौन सा रहस्यहै जो उन्होंनेमुझे आने से मना कियाऔर खुद चले गए. लक्ष्मीजी अपने कौतूहलको वश में नहीं करपायी और भगवानविष्णु के पीछे पीछे चलपड़ी. थोड़ी दूरजाने के बाद उन्हें एकसरसों का खेत दिखाई दिया.जहां पर सरसोंके पीले रंगके बहुत सारेफूल लगे थे. सरसों कीखूबसूरती को देखकरलक्ष्मी जी मोहितहो गई और फूलों कोतोड़ कर अपना श्रृंगार करने लगी.श्रृंगार करने केबाद जब लक्ष्मीजी आगे बढ़ीतब उन्हें रास्तेमें एक गन्नेका खेत दिखाईदिया. लक्ष्मी मातागन्ने ने तोड़ कर खानेलगे उसी समय भगवान विष्णुवापस आए और लक्ष्मी जी को वहां देखकरबहुत ही क्रोधितहुए. क्रोध मेंआकर उन्होंने मांलक्ष्मी को श्रापदिया कि मैंनेतुम्हें अपने पीछेआने से मना किया थापर तुमने मेरीबात नहीं मानीऔर किसान केखेत में लगे हुए गन्नेकी चोरी का पाप करबैठी. इसलिए मैंतुम्हें श्राप देताहूं कि तुम पूरे 12 सालों तककिसान की सेवा करनी पड़ेगी.श्राप देने के बाद भगवानविष्णु मां लक्ष्मीको वहीं छोड़करक्षीरसागर चले गए.भगवान विष्णु केजाने के बाद मां लक्ष्मीउस गरीब किसानके घर पर निवास करनेलगी. 1 दिन लक्ष्मीजी ने किसानकी पत्नी सेकहा कि तुम नहाने सेपहले मेरी बनाईगई देवी लक्ष्मीकी मूर्ति कीपूजा करो. उसकेबाद ही खाना बनाना. ऐसाकरने से तुम्हेंमनचाहे वर की प्राप्ति होगी. किसानकी पत्नी नेलक्ष्मी जी के कहे अनुसारवैसा ही किया.माँ लक्ष्मी कीपूजा के असर से किसानके घर में अन्न, रत्न,स्वर्ण आदि की भरमार होगई. मां लक्ष्मीकी कृपा से किसान काघर धन-धान्यसे परिपूर्ण होगया. 12 साल का समय देखतेदेखते बीत गया. 12 वर्षों तक किसानके घर में धन धान्यभरा रहा. जब12 सालों का समयपूरा हो गया तब भगवानविष्णु लक्ष्मी जीको लेने आए.तब किसान नेउन्हें भेजने सेमना कर दिया.तब भगवान विष्णुने किसान सेकहा कि माता लक्ष्मी को कोई नहीं रोकसकता है. यह कभी भीएक जगह नहींठहरती है. इन्हेंमैंने श्राप दियाथा. इसीलिए यह12 वर्षों से तुम्हारेघर में रह रही थी.अब 12 वर्ष का समय पूराहो चुका है.इसलिए इन्हें जानेदो पर किसानजिद में आकर बोला किमैं लक्ष्मी जीको कहीं नहींजाने दूंगा. तबमाता लक्ष्मी नेकहा अगर तुम मुझे रोकनाचाहते हो तो मेरी कहीबात को पूरा करो. कलतेरस का दिन है कलके दिन अपनेघर को अच्छीतरह से साफ सुथरा करकेरात के समय घी कादीपक जलाकर मेरीपूजा करो और एक तांबेके कलश में रुपए भरकरमेरे लिए रखना.मैं उसी कलश में निवासकरूंगी. धनतेरस परपूजा करते समयमैं तुम्हें नजरनहीं आऊंगी. धनतेरसके दिन सिर्फ1 दिन की पूजा करने सेमैं पूरे सालमैं तुम्हारे घरमें ही निवासकरूंगी. ऐसा कहकरमाता लक्ष्मी दीपककी रोशनी केसाथ सभी दिशाओंमें फैल गई. अगले दिनकिसान ने लक्ष्मीजी के कहे अनुसार पूरेविधि-विधान सेपूजा की. ऐसा करने सेउसका घर धन-धान्य औरखुशहाली से भर गया.
इसी कारण सेहर साल त्रयोदशीके दिन धन माता लक्ष्मीकी पूजा की जाती है.अगर आप भी पूरे हृदयऔर सच्चे भावसे धनतेरस केदिन माता लक्ष्मीकी पूजा करतेहैं तो आपके घर मेंकभी भी धन-धान्य औरखुशहाली की कमी नहीं होगी.