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गंगा माता के मुख्य नाम

गंगा माता के मुख्य नाम -

गंगा नदी के उल्लेख के बिना हिंदु धर्म की संस्कृति अधूरी है । इन्हें माता से सम्मान दिया जाता है। ग्रथों में भी माता गंगा को बहुत से नामों से जाना जाता है । माता गंगा के कुल 108 नाम ग्रंथों में बताये गये है। और रोचक बात यह है कि इनके नाम के पीछे कोई ना कोई विशेषष कहानी और रोचक तथ्य है –

जान्हवी – एक बार जह्नु मुनि यज्ञ कर रहे थे और गंगा जी के वेग के कारण उनका सभी प्रकार का सामान तितर-बितर हो गया था। और उसके बाद गुस्से के कारण उन्होंने गंगा जी का सारा सामान पी लिया। इसके बाद गंगा जी ने उनसे बहुत ही क्षमा याचना की और जिसके बाद उन्होनें अपने गुस्से को काबू में किया और गंगा जी को अपने कान से बाहर निकाला। और उन्हें अपनी पुत्री के समान सम्मान दिया और इसी कारण उन्हो जान्हवी का नाम दिया गया।
हुगली – बंगाल क्षेत्र से गुजरने  के कारण इसे हुगली के नाम से भी जाना जाता है। गंगा नदी को कोलकत्ता से बंगाल की खाडी तक गंगा मां को इसी नाम से जाना जाता है।
उत्तर वाहिनी – गंगा नदी हरिदार से फरुखाबाद, कन्नौज और कानपुर होत हुये इलाहबाद पहुंचती है और इसके बाद वे काशी में एक विलय लेती है जिसके कारण इन्हें उत्रतरवाहिनी के नाम से भी जाना जाता है।
मंदाकिनी – माता गंगा को आकाश की ओर जाने वाली माना जाता है और इसीलिये मंदाकिनी के नाम से भी जाना जाता है। आकाश में बहुत ही सुंदर फैले पिंड़े और तारों के समुह को आकाश गंगा कहा जाता है और यह गंगा का ही एक रुप है।
शिवाया – क्योंकि भगवान शिवजी ने गंगा जी को अपनी जटाओं में विशेष स्थान दिया था ताकि उन्हें शिवाया के नाम से जाना जाता है। 
पंडिता – भगवान जी के लिये माता गंगा हमेशा से ही बहुत पूजनीय रही है और इसी कारण उन्हें पंडिता के नाम से भी जाना जाता है। गंगा स्त्रोत में भी इसे पंडिता समपूज्या के नाम से जाना जाता हैं।
मुखया – गंगा मां को मुख्या के नाम से जाना जाता है और इन्हें भारत का सबसे मुख्य और पवित्र नदी में से एक माना जाता है। क्योंकि बहुत ही मुख्य नदीयों में से एक है इन्हें मुख्या भी कहा जाता है।
दुर्गाय – यह भी माता गंगा के बहुत से नामों में से एक है और इसीलिये दुर्गा देवी के का प्रकार का स्वरुप माना गया है और इन्हें दुर्गाय भी कहा गया हैं।
त्रिपथगा – त्रिपथगा भी माता गंगा के बहुत से नामों में से एक है जिसका अर्थ है जो तीन रास्तो की ओर जाती है। त्रिपथगा शिव की जटाओं से धरती, आकाश और पाताल की ओर जाती है।
भागीरथी – माता गंगा का जन्म पृथ्वी पर राजा भागीरथ की असीम तपस्या के कारण हुआ है और इसीलिये इन्हें भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है।
 
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