ज्येष्ठ मास की महिमा
क्या है ज्येष्ठ मास-
ज्येष्ठ मास को आम भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना होता है. ज्येष्ठ मास में सूर्य देव अपना रौद्र रूप धारण कर लेते हैं. जिसकी वजह से इस महीने में प्रचंड गर्मी पड़ती है. इसी कारण शास्त्रों में ज्येष्ठ मास में पानी पिलाने और दान पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है.
ज्येष्ठ मास का महत्व-
ज्येष्ठ मास में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है. जिसकी वजह से पानी की कमी हो जाती है. सूर्य के रूद्र रूप धारण करने की वजह से धरती पर मौजूद पानी का वाष्पीकरण अधिक तेज हो जाता है. हमारे शास्त्रों में ज्येष्ठ मास में जल का संरक्षण करने पर विशेष महत्व दिया गया है. ज्येष्ठ महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत भी किए जाते हैं. यह उपवास प्रकृति में जल का बचाव करने का संदेश देते हैं. गंगा दशहरा के पर्व पर नदियों की पूजा की जाती है और निर्जला एकादशी में बिना जल ग्रहण किए व्रत किया जाता है. ज्येष्ठ मास में दान पुण्य करने को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. यह साल का सबसे गर्म महीना होता है. इसीलिए इस महीने में ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए जो ठंडक और छाया प्रदान करते हैं. इस महीने में छाता, पंखा, पानी इत्यादि का दान करना शुभ माना जाता है.