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कामिका एकादशी | Kamika Ekadashi on 21 Jul 2025 (Monday)

कामिका एकादशी 
जीवन यात्रा में व्यक्ति नाना प्रकार के जाने अंजाने में लोभ व क्रोधवश पाप करता रहता है जो उसे ऐसे झुलसा देता है कि उसका चेहरा पहचान में नहीं आता उसे अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं रहता जीवन दुःख दारिद्रता के थपेड़ों से लहूलुहान हो जाता है। पाप व नीच कर्म करने वाले को भयानक यम यातनाएं झेलनी पड़ती है, इतना ही नहीं ज्योतिषीय दृष्टि से भी इन पाप कर्माे से ग्रहों की पीड़ाएं कुण्डली में बढ़ जाती हैं। सूर्य जो आत्मा का कारक है वह बच्चों के प्रति बुरे व्यवहार, भू्रण हत्या से आत्म तत्त्व को दूषित कर देता है। 

वृहस्पति जो कि संतान का कारक है वह अपराधों से कुपित हो जीवन को नाना प्रकार के कष्टों से भर देता है। इस प्रकार नाना प्रकार के पापों से उत्पन्न हुए रोग, षोक, व्याधि की विरह में मानव जीवन अनवरत् रूप से जलता रहता है। श्रीब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सुदीप मुनि से धर्मराज युधिष्ठर ने पूछा कि हे! मुनि श्रेष्ठ सभी प्रकार के पापों को नष्ट करने वाली कोई विधि बतलाइए जो दुःखों, पापों को दूर कर मानव जीवन को वैभव, पुत्रादि जैसी अनेकों कल्याण की कामना को पूर्ण करें। मुनि श्रेष्ठ ने कामनाओं को पूर्ण करने वाली कामिका एकादशी व्रत की कथा धर्मराज युधिष्ठर को श्रीकृष्ण ने सुनाई और बताया हे! धर्मराज कामिका एकादषी सभी प्रकार के पापों, दुःखों का अंत कर हर मंगल कामना पूर्ण करती है। इस कामिका एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, झूठ, भ्रूण हत्या जैसे कर्मो से उत्पन्न हुए भयानक पापों का अंत हो जाता है और उसे नाना प्रकार की योनि चक्रों में भ्रमण करने, जन्म-मृत्यु की पीड़ाआंें को सहने से मुक्ति मिल जाती है। मांस ,मंदिरा व तामसिक आहारों से दूर रहने का विधान है। इस व्रत में भगवत भजन संकीर्तन करते हुए रात बिताने और धर्म कार्यों मे लिप्त रहने से सभी मनोकामनाएं व्रती की पूर्ण हो जाती हैं। अर्थात् इस व्रत को भक्ति पूर्वक कर प्रत्येक व्यक्ति मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है और अपनी कामनाओं को पूर्ण कर जीवन जीने की कला में महारथ हासिल कर सकता है। ऐसा व्रत जिसके द्वारा व्रती की कामनाआंे की पूर्ति हो वही कामिका एकादशी है।
 
एकादशी भगवान् विष्णु की सबसे प्रिये तिथि है| एकादशी के दिन भगवान् विष्णु जी के लिए उपवास व् उनकी आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है| एक वर्ष में चौबीस एकादशी तिथियाँ होती हैं, परन्तु जिस वर्ष अधिक मास/मल मास/पुरुषोत्तम मास हो, उस वर्ष छब्बीस एकादशी एक वर्ष में होती हैं| 

कामिका अर्थात "इच्छाएं" कामिका एकादशी का उपवास करने से मनुष्य अपनी महत्व कांशाओं को नियंत्रित करने में सफल रहता है| कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य अपनी व्यर्थ इच्छाओं को नियंत्रित कर जीवन के लक्ष्यों में सफलता पाता है और साथ ही जीवन में सुख व् शान्ति का अनुभव करता है| कामिका एकादशी सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है| मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान् विष्णु के उपेंद्र स्वरुप कि उपासना की जाती है| उपेंद्र स्वरुप अर्थात "इंद्रा के भाई"|

एकादशी के दिन सुबह व् शाम विष्णु सहस्त्र नाम ||विष्णु सहस्त्रनाम|| का पाठ अवश्य करना चाहिए| यदि किसी कारणवश विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ संभव ना हो तो भगवान् विष्णु जी के मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाये" का जाप अवश्य करें| भगवान् विष्णु जी को टुक्सी अवश्य अर्पित करें अथवा उनके भोग में भी तुलसी  का प्रयोग अवश्य करें| एकादशी के दिन भगवान् विष्णु जी को पंचामृत का भोग भी अवश्य लगाएं| kadashi  vrat katha,Kamika Ekadashi Tithi,Kamika Ekadashi Ka Mahatva,Kamika Ekadashi importance,Kamika Ekadashi Katha,Kamika Ekadashi Story,Kamika Ekadashi Ki Mahima,Kamika Ekadashi Vrat,Upendra Swaroop ,kamika ekadashi vrat katha  kamika ekadashi ki katha ,kamika ekadashi 2020 ,kamika ekadashi benefits ,kamika ekadashi story ,कामिका एकादशी फल,, आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णि
 
 
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