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इस श्राद्ध बरसेगी पितरों की कृपा on 29 Sep 2023 (Friday)

भारत वर्ष मे पितृ पक्ष को श्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है और दोनों का आश्य भी एक ही है। श्राद्ध ज्यादातर सिंतबर या अक्बूर में पडते है और इन दिनों किसी भी प्रकार के नये काम की शुरुआत नहीं की जाती है।pitru paksha katha in hindi, श्राद्ध पर्व, पितृ पक्ष 2021, श्राद्ध पक्ष 2021, पितृ पक्ष का महत्व shradh 2020 dates, shradh period 2021, Pitru Paksha 2021, पितृ दोष, कारण एवं निवारण, पितृ दोष क्यों, पितृ दोष कैसे, पितृ दोष कब, पितृ शांति, Pitru dosh kab aur kyo, पितृ पक्ष प्रांरभ, Shraadh meaning,pitr paksha 2021,pitr paksha,pitr paksha 2021 dates,pitr paksha 2021,pitru paksha 2021 dates,pitru paksha 2021 dates, pitru paksha Amavasya 2021, Shraadh meaning, pitr paksha 2021,pitr paksha,pitr paksha 2021 dates,

क्या हैं श्राद्ध -

इन दिनों में पूर्वजों व पितरों (यानि जो परिवार के सदस्य मृत्यु को प्राप्त हो चुके है जैसे माता पितादादा दादीचाचाचाचीभाईबहन आदि ) को विशेष सम्मान और श्रद्धांजलि दी जाती है। पितृ पक्ष को हिंदुओं द्वारा प्रतिकूल माना जाता है। पितृ पक्ष लगभग दो सप्ताह की अवधि तक चलता है और यह अवधि भारतीय चंद्र माह में पड़ती हैजोकि ग्रेगोरियन कैलेंडर महीनों से मेल खाती है।

पितृ पक्ष या श्राद्ध की तिथि –

पितृ पक्ष में हिंदू अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिये विशेष पूजा-अर्चना करते है और सम्मान करते हैं। ऐसा करने से घर में सुख-स्मृद्धि व सम्मान आता है। यह विशेष समयावधि गणेश चतुर्थी के बाद पडने वाली पहली पूर्णिमा से शुरू होती है और पहली अमावस्या पर समाप्त जाती है।

पितृ पक्ष से जुडी पौराणिक कथा -

पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब महाभारत युद्ध के दौरान योद्धा और दानवीर राजा कर्ण की मृत्यु हो गई और उनकी आत्मा स्वर्ग में आई। तब उन्हें वहाँ भोजन के बजाय गहने और सोने का भोजन दिया गया। तब उन्होंने स्वर्ग के स्वामी इंद्र से पूछा कि उन्हें असली भोजन क्यों नहीं मिल रहा है। भगवान इंद्र ने तब उन्हें बताया कि तुमने इन वस्तुओं को अपने पूरे जीवन दान के रूप में दिया था लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी भोजन दान नहीं किया।

यह सुनकर कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों से अवगत नहीं थे। इस तर्क को सुनकरइंद्र पंद्रह दिन की अवधि के लिए कर्ण को पृथ्वी पर वापस जाने के लिए सहमत हुए ताकि वह अपने पूर्वजों की स्मृति में भोजन बना सके और दान कर सके। समय की इस अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। और तभी से पितृपक्ष की महत्ता को माना जाता है।

किस प्रकार है पितृ पक्ष अनुष्ठान विधि -

इस दौरान श्राद्ध का अनुष्ठान किया जाता है। हर व्यक्ति अपने-अपने तरह से अनुष्ठान करता है। परन्तु जो सामान्य रूप से सभी लोग कर सकत हैं और उन्हें करना चाहिए, उसका विवरण यहाँ इस प्रकार दिया जा रहा है। श्राद्ध के अनुष्ठान को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – 

  1. पहला अनुष्ठान – इसमें पिंडदान किया जाता है अर्थात् पूर्वजों को पिंडा का प्रसाद दिया जाता है। पिंडा चावल से बनाता है उसका रूप गेंदें की तरह होता है।
  2. दूसरा अनुष्ठान – इसमे तर्पण होता है जिसमे यह कुशा घासजौआटा और काले तिल आदि को मिलाकर बनाया जाता है।
  3. अंतिम अनुष्ठान - इसमें ब्राह्मण या पुजारियों को भोजन खिलाया जाता है और इसके  साथ ही इस समय के दौरानपवित्र शास्त्र से पढ़ना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। कुछ लोग इस दिन जानवारों जैसे कि गायकौआ व कुत्तों को भोजन खिलाना बहुत ही शुभ मानते है।

 पितृ पक्ष में क्या ना करें –

हालाँकिकुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें पितृ पक्ष के दौरान करने से बचना चाहिए और इन चीजों का विवरण यहां दिया गया है जैसे

  • नये कार्य की शुरूआत करने से बचना चाहिये 
  • मांसाहारी खाद्य पदार्थ का सेवन ना करे 
  • शेविंग ना करें
  • बाल कटाना नहीं चाहिये
  • प्याज ना खायें क्योंकि तामसिक माना जाता है
  • लहसुन का प्रयोग भी वर्जित है

पितृ पक्ष का महत्व 

आज की भागदौड़ं में हम लोग इन महत्वपूर्ण अनुष्ठानों की महत्ता कहीं-ना-कहीं थोड़ा सा नजरअंदाज कर देते हैं जोकि सही नहीं है। हमें यह समझना होगा कि इन अनुष्ठानों का एक बहुत ही गहरा महत्तव है और इनको नजर अंदाज नहीं करना चाहिये।

पितृपक्ष दोष को कम करने के लिये दान करें –

पितृपक्ष मनाने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और साथ ही उनका आशीर्वाद भी। यह आशीर्वाद हमें आने वाली बाधाओं से दूर रखती है। अगर आप पितृ पक्ष दोष से पीड़ीत है तो आपको इस बार पितृ दान जरूर करना चाहिए और इसके बाद इसे हर साल करना चाहिये। ऐसा करने से पितृ पक्ष दोष काफी हद कम हो जाता है और अपने पूर्वजों के प्रिय हो जाते हैं। ऐसा करने से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का नाश भी होता है।