पूर्वजों के लिए श्रद्धा पूर्वक किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहा जाता है, और तृप्त करने की प्रक्रिया और देवताओं या पितरों को तिल मिश्रित जल अर्पण करने की प्रक्रिया को तर्पण कहते हैं. तर्पण करने को ही पिंडदान भी कहा जाता है. हमारे वेद पुराणों और अन्य ग्रंथों में बताया गया है कि यज्ञ पांच प्रकार के होते हैं. जिनमें से एक होता है "पितृ यज्ञ” पुराणों में पितृ यज्ञ को श्राद्ध कर्म की संज्ञा दी गई है. श्राद्ध कर्म जिसे पितृ यज्ञ भी कहा जाता है अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में मनाए जाते हैं. जो व्यक्ति पित्र पक्ष और देह त्याग की तिथि पर अपने पितरों का श्राद्ध श्रद्धा पूर्वक करता है उस श्राद्ध से उनके पितरों की आत्माएं तृप्त हो जाती हैं.
श्राद्धकरनेकेनियम :-
कर्म
पुराण के अनुसार जो व्यक्ति पूरे विधि विधान के अनुसार शांत मन से अपने पितरों का श्राद्ध करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वह मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता है.
यम स्मृति, गरुड़ पुराण श्राद्ध प्रकाश जैसे प्राचीन ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध करने से मनुष्य की आयु लंबी होती है और उसके जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है.
हमारे
शास्त्रों में में बताया गया है कि मनुष्य का जन्म तीन ऋण लेकर होता है पित्र ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण. इन सभी में पित्र ऋण का महत्व सबसे ज्यादा होता है.
पित्रपक्ष में माता पिता के साथ साथ वह सभी बुजुर्ग शामिल होते हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं. पितृ ऋण को चुकाने के लिए अपने घर के सभी मृत बुजुर्गों का सम्मान पूर्वक श्राद्ध करना जरूरी होता है.
किसीभी व्यक्ति की मृत्यु के बाद 1 साल तक मृत्यु की तिथि के दिन मासिक श्राद्ध करने का नियम है. इसके पश्चात वार्षिक तिथि पर श्राद्ध और पितृपक्ष में कनागत श्राद्ध करने का नियम है.
श्राद्धप्रक्रिया में पत्नी के साथ पिता, पितामह दादा दादी, परदादा परदादी 6 लोगों का श्राद्ध होता है. इसके अलावा नाना नानी परनाना परनानी आदि का भी श्राद्ध संपन्न किया जाता है.
यदिआप पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं तो ब्राह्मण का चुनाव अच्छी प्रकार परखने के बाद ही करें. जो ब्राह्मण विद्या, शील और सत गुणों से संपन्न और चरित्रवान हो उसी से श्राद्ध कर्म करवाएं. तभी आपका श्राद्ध कर्म सफल होगा.
वासुदेव,रूद्र,आदित्य और पितृ श्राद्ध के देवता माने जाते हैं. विधिपूर्वक श्राद्ध करने से यह सभी देवता प्रसन्न होकर मनुष्य को लंबी उम्र, संतान, धन, मोक्ष का वरदान देते हैं.
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