रंभा के कारण महादेव कह लाए अप्सरेश्वर-
उज्जैन नगरी को महादेव की नगरी माना जाता है. उज्जैन में मौजूद अप्सरेश्वर शिवलिंग को महादेव का 17 वां स्थान माना जाता है. इस स्थान पर ही अप्सरा रंभा की मनोकामना पूरी हुई थी. अप्सरा रंभा के नाम पर ही इस स्थान का नाम अप्सरेश्वर महादेव पड़ा. अप्सरेश्वर महादेव का दर्शन करने से ही मनुष्य की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है. अप्सरेश्वर महादेव को स्पर्श करने से मनुष्य को राज्य सुख मिलता है, तथा मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.
एक समय की बात है जब इंद्रदेव नंदनवन में विराजमान थे. अप्सरा रंभा नृत्य करके इंद्रदेव का मनोरंजन कर रही थी. अचानक ध्यान भंग होने की वजह से रंभा के नृत्य में बाधा आ गयी.जिसे देखकर इंद्रदेव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अप्सरा रंभा को यह श्राप दे दिया कि वह है रूप हीन होकर मृत्यु लोक में निवास करें. इंद्रदेव का श्राप मिलने के पश्चात रंभा पृथ्वी पर गिर गई और रोने लगी. तब अप्सरा रंभा की सभी सखियां वहां आ गई और उसी समय वहां से नारद मुनि गुजर रहे थे. जब उन्हें रंभा से सारी बातों का पता चला तब उन्होंने रंभा से कहा कि तुम महाकाल वन जाओ वहां पर तुम्हें मनोकामना पूर्ण करने वाला एक शिवलिंग मिलेगा.
उस शिवलिंग की पूजा आराधना करने से तुम्हें फिर से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी . नारद मुनि ने अप्सरा रंभा को बताया कि जब अप्सरा उर्वशी ने इस लिंग की पूजा की थी तब उन्हें पुरुरवा राजा पति के रूप में प्राप्त हुए थे. नारद देव की आज्ञा मानकर अप्सरा रंभा ने भी उस लिंग की आराधना आरंभ की. अप्सरा रम्भा की कठोर तपस्या से भगवान् भोलेनाथ प्रसन्न हुए और रम्भा को यह वरदान दिया कि वह इंद्र की वल्लभ प्रिया बनेगी और जिस लिंग की उन्होंने पूजा की है उसे हमेशा अप्सरेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाएगा.