कैसे बनी रम्भा शिला|
हमारे धर्म पुराणों में बताया गया है कि रंभा एक बहुत ही खूबसूरत अप्सरा थी. मान्यताओं के अनुसार देवताओं और असुरों के द्वारा किए गए समुद्र मंथन से रंभा का प्राकट्य हुआ था. पुराणों और साहित्य में उन्हें सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है. स्वर्ग के राजा इंद्र देव ने रंभा को अपनी राज्यसभा में मुख्य अप्सरा के रूप में नियुक्त किया था. एक बार जब ऋषि विश्वामित्र की कठोर तपस्या के कारण इंद्रलोक का सिंहासन हिल उठा तो इंद्रदेव ने विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिए रंभा को भेजा था. अप्सरा रंभा विश्वामित्र की तपस्या भंग नहीं कर पाई और ऋषि विश्वामित्र ने रंभा को 100 वर्षों तक पत्थर के रूप में रहने का श्राप दिया था.