सोमवती अमावस्या व्रत
हिन्दू धर्म में कई प्रकार के व्रत और त्यौहार मनाये जाते हैं और सभी व्रतों का अलग अलग महत्त्व और पूजन विधि होती है. हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का व्रत भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत होता है. यह व्रत साल में एक बार सोमवार के दिन आता है. इसलिए इसे सोमवतीअमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस अमावस्या की तिथि अनोखी होती है जो साल में सिर्फ एक बार आती है. सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने का बहुत महत्व होता है. इसलिए इस दिन अमावस्या पड़ने से यह तिथि खास हो जाती है. सोमवती अमावस्या के दिनसभी सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं. इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी हो जाती है और उसके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. जिन लोगों की कुंडली में पित्र दोष या काल सर्प योग होता हैउन्हें यह पूजा जरूर करनी चाहिए. सोमवती अमावस्या की पूजा विधि पूर्वक करने से मनुष्य की कुंडली से पित्र दोष और कालसर्प योग दूर हो जाता है और उसके जीवन से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है. सोमवती अमावस्या का व्रत ज्येष्ठ आषाढ़ जून जुलाई के महीने मेंआता है. इस दिन सभी महिलाएं व्रत रखती हैं और पीपल की पेड़ की विधिवत पूजा करती हैं.