सोमवती अमावस्या पूजन विधि|
अगर कोई पीपल के पेड़ की परिक्रमा करता है तो उसके जीवन में सुख और शांति आती है. अगर कोई सुहागिन स्त्री पीपल के पेड़ की परिक्रमा करके सोमवती अमावस्या का व्रत रखती है तो उसके पति को लंबी उम्र की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या के दिन सुबह से मौनरहने रहा जाता है. इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता है. सोमवती अमावस्या के दिन पूजा करने से पितृ दोष दूर हो जाते हैं और पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा सोमवती अमावस्या का व्रत करने से जीवन में आने वाले समस्त संकट दूर हो जाते हैं. सोमवती अमावस्या की पूजन विधि सोमवती अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठ कर मौन रहकर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है. इस दिन सूर्य और तुलसी को जल अर्पण करने का खास महत्व होता है. इस दिन गायत्री मंत्र का उच्चारण करके तुलसी की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल अर्पण करना चाहिए. सोमवती अमावस्या के दिन गाय को दही और चावल खिलाना शुभ होता है. अगर आप पूरा दिन मौन व्रत धारण करके सोमवती अमावस्या की पूजा करते हैं तो इससे आप को शुभ फलों की प्राप्ति होगी. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के पास तुलसी का पौधा रखकर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, माला, हल्दी और काले तिल चढ़ाकर पूजा करें. इसके अलावा तुलसी के ऊपर पान, हल्दी की गांठ और धान को पान पर रखकर तुलसी पर चढ़ाना चाहिए. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की 108 बार धागा लपेटते हुए प्रदक्षिणा करें. इस दिन किसी सामान के साथ भी पीपल के पेड़ की प्रदक्षिणा की जाती है. जैसे- बिंदी, टॉफी, चूड़ी, मेहंदी, बिस्किट आदि किसी भी चीज के साथ आप पीपल के पेड़ की प्रदक्षिणा कर सकते हैं. पीपल के पेड़ की 108 बार प्रदक्षिणा करने के बाद चढ़ाये गए सामान को किसी विवाहित या कन्या में बांट दें. सोमवती अमावस्या के दिन घर में रुद्राभिषेक करवाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन पूरी, खीर, आलू की सब्जी बनाकर पितरों को चढ़ाएं और फिर खुद ग्रहण करें. सोमवती अमावस्या के दिन कपड़े, अनाज और मिठाई का दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.