सोमवती अमावस्या के दिन नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करना शुभ होता है-
अनंत वासुकि शेषपद्म नाभम च काम्ब्लम शंखं पालम धृतम राष्ट्रं तक्षकं कालियंतथा एतानि नव नामानि नागानां चमहात्मनां सायं काले पठन्नित्यं प्रातः कलेविशेषितःतस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्
सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. उसे लम्बी उम्र का वरदान मिलता है और उसके जीवन में सुख संपत्ति हमेशा बनी रहती है. इसके अलावा सोमवती अमावस्या का व्रत करने से संतान और पति कासुख मिलने के साथ साथ परिवार के सभी क्लेश दूर हो जाते हैं. हिंदू धर्म पुराणों में अमावस्या के दिन चंद्रमा की पूजा करने का नियम बताया गया है. भविष्य पुराण में बताया गया है कि अमावस्या का दिन पितरों को बहुत प्रिय होता है. भविष्य पुराण के अनुसार सोमवती अमावस्याके दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ पूजा करके व्रत रखना चाहिए और पितरों का तर्पण करना चाहिए. व्रत के अंत में स्वर्ण की चंद्र प्रतिमा बनाकर उसे वस्त्र और आभूषण के साथ किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए. जो भी व्यक्ति अमावस्या का व्रत करता है उसके सभी पाप दूर होजाते हैं और वह चंद्रमा की तरह सुशोभित हो जाता है. सोमवती अमावस्या का व्रत करने से मनुष्य अपने जीवन के सभी सुखों को भोग कर अंत में प्राण त्याग कर विष्णु लोक में निवास करता है. जो भी व्यक्तिसोमवती अमावस्या के दिन पितृ तर्पण और पिंडदान करता है उसके जीवन में कभी भी धनधान्य और संतान की कमी नहीं होती है.