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सीता नवमी व्रत कथा

सीता नवमी व्रत कथा  

पौराणिक संस्थाओं के अनुसार माता सीता जी इसी दिन प्रकट हुई थी और इसी कारण हिन्दु धर्म में अपनी आस्था रखने वाले हिन्दु इस दिन बहुत ही श्रद्धा के साथ व्रत उपवास रखते है ताकि उनके सभी तरह के पापों नष्ट हो जाये और वह एक अच्छा जीवन व्यतीत करें। जिस तरह से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर रामनवमी का बहुत ही महत्व है ठीक उसी तरह वैशाख शुक्ल नवमी के दिन जानकी नवमी का बहुत ही महत्व है और इसे बहुत ही श्रद्धा के साथ रखा जाता है।

बहुत समय पहले की बात है कि किसी गांव में वेददत् नामक एक ब्राहमण अपनी पत्नी सुहाना के साथ रहते थे। उसकी पत्नी व्यभिचारी स्वभाव की थी। एक दिन ब्राहम्ण अपनी शिक्षा पूरी करने के गांव के बाहर गये हुये थे । लेकिन उसी समय ब्राहम्ण के पत्नी कुसंगति में पड़ गयी और व्यभिचार में आसीन हो गयी। उसके व्यभिचार कर्मों के कारण उसके गांव में भी विपत्ति आ गयी और उसमें आग लग गई। अपने पिछले जन्म में किये गये पापों की वजह से उसका जन्म चांडाल के घर में हुआ फिर। यहां वह अंधी भी थी और साथ ही साथ कुष्ठ रोग से भी बहुत ही बुरी तरह से पीडित थी । अपने पिछले जन्मों को बुरे कर्मो के कारण वह बहुत ही बुरी स्थिति में थी । और एक दिन बहुत ही भूख-प्यास से बेहाल होने के कारण वह अपने पुराने वेदवत् गाँव में पहुंची। उस दिन वैशाख मास के पुण्यदायिनी शुक्ला नवमी थी । वह बहुत ही बुरी हालत में थी और साथ ही साथ लोगों से गुहार लगा रही थी की मुझे कुछ खाने को दो।

यही कहते-कहते वह बुरी औरत श्री स्वर्ण भवन के हजार पुष्प मंडित स्तम्भों के पास पहुँच गई थी और बहुत ही गुहार लगाने लगी थी कोई मुझे खाने के लिये कुछ दे दो। तब एक संत ने उसकी वह दयनीय हालत देखी और कहा – देवी, आज बहुत ही शुभ और पावन अवसर है सीता नवमी और इस दिन अन्न का दान देने वाला पाप का भागी बन जाता है। इसीलिये तुम कल सवेरे आना व्रत के पारण के समय और स्वंय ठाकुर जी के प्रसाद को ग्रहण करना। किंतु वह औरत भूख से बहुत ही व्याकुल थी और इसी कारण उसे किसी नें तुलसीदल और जल दे दिया। वह खाकर वह मृत्यु को प्राप्त हुई। लेकिन पूरे दिन भुखे होने के कारण उससे सीता माता का व्रत लग गया और इसी कारण उसके सभी प्रकार के पाप पूरी तरह नष्ट हो गये।

अगले जन्म में उसका जन्म एक अच्छे घर में हुआ और वह कामरुप के महारज की पत्नी कामकाला के नाम से बहुत ही प्रसिद्ध हई। अपने बहुत ही अच्छे कर्मो और स्वभाव के कारण उन्होनें कई प्रकार के मंदिरों का निर्माण भी करवाया और फिर वह सारा जीवन धर्म के कामों लगी रही। इसी तरह यदि कोई भी मनुष्य माता सीता की पूरी विधि-विधान से पूजा करता है उसे विशेष सुख व सुविधा प्राप्त होती है।

आगे पढ़िए सीता स्तुति 
 

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