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मान्यता और परंपरा

 

मान्यता और परंपरा
 
जानकी जयंती के दिन भक्तगण माता जानकी की भगवान राम के साथ पूजा करते हैं। सभी एक साथ मिलकर सत्संग में जाते है और रामायण का पाठ करते हैं। 

मंत्रों सहित पूजा की विधि

भगवान राम और माता जानकी का चित्र

कलष में गंगाजल
आम के पत्तें
नारियल, रोली, मौली,  चावल, पान
सुपारी, लौंग, इलायची
सिंदूर, अबीर, गुलाल, काजल
धूप, दीपक, माचिस
फूल (सफेद या पीले ) बेलपत्र,
पांच प्रकार के फल  और मिठाई (लड्डू और पेड़़ें), दूध, दही
पंचपत्र जिसमें जल, पत्ता और चम्मच षामिल हों
बैठने के लिए आसन।

पंचामृत बनाने के लिए सामग्री

थोड़़ा गाय का ताजा दूध ले इसमें थोड़ी मात्रा में दही षक्कर घी और षहद मिलाए।

जिस स्थान पर आप पूजा करने जा रहें है उसे पानी और गंगा जल से सर्वप्रथम धोएं। पान के पत्तों पर गेहूं के कुछ दाने रखें इसे भूमि पर जल से भरें कलष के उपर रख दें। कलष के मुख पर पान के पांच पत्तें एक-एक करके लगाएं और फिर इस पर एक नारियल रख दें। कलष की गर्दन पर मौली (यह वस्त्र का प्रतीक है।) बांध दें। भगवान राम और मां जानकी का चित्र अपने सामने पान के पत्तें पर मां जानकी का ध्यान करते हुए स्थापित करें, तत्पष्चात वहां पर दीपक प्रज्ज्वलित करें, दीपक को पूजा समाप्ति तक जलाए रखें। वहां पर धूप भी जला दें। 

अब चरणबद्ध तरीके से माता जानकी की पूजा निम्न मंत्रों को बोलते हुए करें

 आत्म पूजा

आत्म षुद्धिकरण के लिए निम्न मंत्र द्वारा आत्म पूजा करें

ओउम अपवित्र पवित्रों वा सर्वावस्थम गत्योपि वा,
या स्र्मृेत पनदारिका अक्षम सा वाहे अभ्यान्तरह षुचिह

अर्थ जो भी भगवान विष्णु का चिंतन-मनन करता है, मन और तन दोनो रूपों से ही षुद्ध हो जाता है।

 तिलक और आचमन

तिलक को एक षुभ चिन्ह मानकर माथे पर ग्रहण किया जाता है जबकि आचमन कर्म विचार और बोली द्वारा व्यक्ति जो भी पाप करता है उन्हें धोने में सहायक है।

तिलक को अपने माथे पर लगाए और आचमन ( पवित्र जल को अपनी हथेली में लेकर ग्रहण करें) निम्न मंत्र द्वारा करें

ओउम केषवाय नमः, ओउम नारायणाय नमः, ओउम माधवाय नमः, ओउम गोविन्दाय नमः

अर्थ मैं ईष्वर के केषव रुप को प्रणाम करता हूं, मैं ईष्वर के नारायण स्वरुप को प्रणाम करता हूं, मैं ईष्वर मे माधव रुप को प्रणाम करता हूं, मैं ईष्वर के गोविन्द स्वरुप को प्रणाम करता हूं ।

 संकल्प

पूजा के उद्देष्य को पूरा करने हेतु संकल्प करें, हथेली में जल लेकर मां जानकी से अपनी प्रार्थना मन ही मन में कहें।

 आवाह्न

मां जानकी को निम्न मंत्र द्वारा  आमंत्रित करें

आगच्छ त्वम् महादेवी! स्थाने छत्र स्थिरे भव। यवाता पूजां करिस्यामि त्वता त्वम् सिद्धों भव।
श्री जगदंबे जानकी देवी नमः। जानकी देवी मां आवाह्नियामि। आवाह्नयार्थे पुष्पाजंली समर्पियामि
मां जानकी के चरणों में पुष्प अर्पित करें।

 आसन           

ध्यान और मंत्र के बाद प्रार्थना करें और निम्न मंत्र बोले
ओउम सर्व मंगल मांग्लये षिवे सवार्थ साधिके षरण्ये त्रिअबंके गौरी नारायणी नमोस्तुते
श्री जगदंबे जानकी देवी नमः आसनार्थे पुष्ष्पानि समर्पियामि
फूल चढ़ाएं।

 पद

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः पदों पदाम् समर्पियामि
मां के श्री चरणों में जल चढ़़ाएं।

 अघ्र्य

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः अस्तो अघ्र्य समर्पियामि
जल के साथ चंदन पुष्प और अक्षत चढ़ाएं।

 आचमन

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः आचमनाम समर्पियामि
जल में कपूर मिलाकर चढ़ाएं।

 स्नान

 श्री जगदंबे जानकी देवी नमः स्नानर्थम जलम समर्पियामि
मां को स्नान हेतु जल चढ़ाएं।
स्नान्नगा आचमन स्नानते पुनराचमनियम जलम समर्पियामि     
आचमन के लिए जल चढ़ाएं।

 पंचामृत  स्नान

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः पंचामृत स्नानं समर्पियामि
मां को स्नान हेतु पंचामृत अर्पित करे।
सुधोधक स्नान
श्री जगदंबे जानकी देवी नमः सुधोधक स्नानं समर्पियामि
(अंतिम स्नान के लिए पवित्र जल चढ़़ाए)

 आचमन

सुधोधक स्नानते आचमनियाम जलम समर्पियामि
(आचमन के लिए जल चढ़ाए)

 वस्त्र

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः वस्त्रोंपावस्त्रम् कनचुकियाम च समर्पियामि
भगवान को साड़ी या मौली अर्पित करें।

 आचमन

वस्त्रनाते आचमनियाम् जलम समर्पियामि

 सौभाग्य सूत्र

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः सौभाग्य सूत्रं समर्पियामि

 चंदन

 श्री जगदंबे जानकी देवी नमः चंदनम् समर्पियामि

 हरिद्राचूर्ण

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः हरिद्रां समर्पियामि

 

कुमकुम
श्री जगदंबे जानकी देवी नमः कुमकुमं समर्पियामि

 सिंदूर

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः सिंदूरं समर्पियामि

 काजल

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः काजलं समर्पियामि

 दुर्वांकुर (दुर्वा)

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः दुर्वांकुरान समर्पियामि

 बिल्व पत्र

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः बिल्वापत्रं समर्पियामि

 आभूषण

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः आभूषानि समर्पियामि

 पुष्प माला

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः पुष्पमालां समर्पियामि

 नानापरिमलद्रव्यिा (द्रव्य और पैसा)

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः नानापरिमलद्रव्यिानि समर्पियामि 

 सौभाग्य पतिका

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः सौभाग्यापतिकाम् समर्पियामि

 धूप

 श्री जगदंबे जानकी देवी नमः धूपंाग्रहपियामि    

 दीप

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः दीपं दर्षयामि   
मंा जानकी को दीप दिखाएं तत्पष्चात अपने हाथ जल से धों लें

 
नैवैद्य
श्री जगदंबे जानकी देवी नमः नैवैद्यम् निवेदयामि
आचमन करें

 रितुफल

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः रितुफलानि समर्पियामि

 तंबूल (पान)

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः तंबूलम् समर्पियामि

 दक्षिणा

श्री जगदंबे जानकी देवी नमः दक्षिणां समर्पियामि  

 आरती

थाली में कपूर , बत्ती और फूल रखकर आरती गाएं।

 

 
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