पूजन विधि-
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने का नियम है। प्रातः काल स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने घर के पूजा कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए। अब एक लकड़ी की चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। अब चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। अब भगवान शिव और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें। अब भगवान विष्णु का सफेद कमल के पुष्प, चंदन, केसर गाय का दूध, चंदन, इत्र, दही, मिश्री और शहद से अभिषेक करें। भगवान को सूखे मेवे, गुलाल, कुमकुम, सुगंधित फूल और मौसमी फल चढ़ाएं। प्रसाद चढ़ाने के पश्चात श्री सूक्त श्रीमद्भागवत गीता और विष्णु सहस्त्रनाम का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें। इसके पश्चात भगवान विष्णु के बीज मंत्र का जाप करें। इस प्रकार वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वैकुंठ चतुर्दशी की पूजा में भगवान विष्णु को मखाने की खीर का भोग अवश्य लगाएं।
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान् शिव की पूजन विधि -
इस दिन भगवान शिव की पूजा का भी बहुत महत्व माना जाता है। भगवान शिव की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम शिवलिंग पर गाय के दूध, दही और शहद से अभिषेक करें। अब फूल, बिल्वपत्र, आंकड़ा, धतूरा, भांग, मिठाई और मौसमी फल अर्पित करें। प्रसाद चढ़ाने के पश्चात रुद्राष्टक, शिवमहिम्न स्त्रोत पंचाक्षरी मंत्र आदि से भगवान शिव की पूजा करें। वैकुंठ चतुर्दशी के निशीथ काल में पूजन करना बहुत लाभदायक होता है। वैकुंठ चतुर्दशी के नीचे दिए गए मन्त्र का जाप अवश्य करें।
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