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वैकुंठ चतुर्दशी के मन्त्र

वैकुंठ चतुर्दशी के मन्त्र जाप

ॐ ह्रींग ॐ हरियानाक्षय नमः शिवाय 

इस मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु और भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ सप्तऋषि की उपासना भी की जाती है। सप्तऋषि की उपासना करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन किसी पवित्र नदी के तट पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वजों की कृपा भी प्राप्त होती है। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल और कमल के पुष्प अवश्य अर्पित करें। शास्त्रों में बताया गया है कि वैकुंठ चतुर्दशी के दिन माता पार्वती को जौ के आटे की रोटी का भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में रोटी देनी चाहिए। ऐसा करने से घर में धन्य धान्य में बढ़ोतरी होती है। माता पार्वती को जौ की रोटी का भोग लगाते समय नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। 

ॐ पार्वत्यै नम:

ॐ गौरयै नम:

ॐ उमायै नम:

ॐ शंकरप्रियायै नम:

ॐ अंबिकायै नम:

मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति माता पार्वती पर चढ़ी इस रोटी का प्रसाद ग्रहण करता है उसकी किडनी हमेशा स्वस्थ रहती है। शरीर में कभी भी सूजन की समस्या नहीं आती है। साथ ही लीवर और आंतों की समस्या भी नहीं होती है। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन संध्या काल में 108 कमल के फूलों से भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पश्चात विधि-विधान से भगवान शिव की उपासना करें। अगले दिन प्रातः काल स्नान करने के पश्चात भगवान शिव और भगवान विष्णु का पूजन करने के पश्चात जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाने के पश्चात अपना व्रत खोलें। 

 

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