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देवी भद्रकाली का स्वरुप व् पूजन विधि|

देवी भद्रकाली का स्वरुप
  1. माँ भद्रकाली को शक्ति का स्वरुप माना गया है. 
  2. मान्यताओं के अनुसार देवी भद्रकाली का प्राकट्य उत्तर दिशा से हुआ है.
  3. देवी भद्रकाली के तीन नेत्र है.सभी भक्त भगवान् शिव को भद्रकाली के रूप में देखते हैं क्योंकि देवी भद्रकाली भगवान शिव का रूप धारण करती है. 
भद्रकाली जयंती पूजन विधि-
  1. हिंदू धर्म में सभी भक्त पूर्ण समर्पण और आस्था के साथ देवी भद्रकाली की पूजा करते हैं. 
  2. इस दिन सभी भक्त प्रातःकाल जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के पश्चात् देवी भद्रकाली की पूजा करते है .
  3. भद्रकाली जयंती के दिन काले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है इसके अलावा आप इस दिन नीले रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं.
  4. देवी भद्रकाली की पूजा करने के लिए घर के पूजा कक्ष में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ और अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखे| 
  5. अब इस चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़ककर इसे सुद्ध कर लें.
  6. अब चौकी पर नीले रंग का कपडा बिछाएं.
  7. माँ दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना करें| भद्रकाली माँ का स्वरुप उग्र्र रूप माना गया है| भगवान् के किसी भी उग्र्र रूप की पूजा उपासना सामान्य रूप से घर में नहीं की जाती और साथ ही यह पूजा किसी विद्वान के नेतृत्व में की जाती है| 
  8. अब जल, दूध, चीनी, शहद और घी से देवी का अभिषेक करें.
  9. भद्रकाली जयंती के दिन माँ का नारियल के पानी से अभिषेक करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
  10. अब देवी माँ को कुम कुम का तिलक करें|.
  11. देवी पूजन के पश्चात माँ भद्रकाली का ध्यान कर दुर्गा कवच, दुर्गा चालीसा व् दुर्गा आरती करें|
  12. इस दिन सभी भक्त संध्याकाल में देवी काली के मंदिरों में दर्शनों के लिए जाते हैं और वहां आयोजित पूजा और अन्य अनुष्ठानों में भाग लेते हैं.