क्या है धूमावती जयंती|
मां धूमावती को 10 महाविद्याओं में से एक माना जाता है. धूमावती जयंती के अवसर पर 10 महाविद्याओं का पूजन किया जाता है. धूमावती जयंती पर सभी मंदिरों में स्रोत पाठ और सामूहिक जाप जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार धूमावती जयंती के अवसर पर काले रंग के वस्त्र में काले तिल बांधकर मां धूमावती को उपहार स्वरूप चढ़ाने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार सुहागन महिलाएं धूमावती माता की पूजा नहीं करती हैं. वह दूर से ही मां धूमावती के दर्शन करती हैं. मां धूमावती का दर्शन करने मात्र से ही उनके पुत्र और पति की रक्षा होती है. पुराणों के अनुसार एक बार मां धूमावती अपनी भूख को शांत करने के लिए भगवान शिव के पास जाती हैं, पर उस वक्त भगवान शिव समाधि में मग्न होते हैं. मां धूमावती के बार-बार कहने के पश्चात भी भगवान शिव अपनी आंखें नहीं खोलते हैं. इस पर मां धूमावती क्रोधित हो जाती हैं और भगवान शिव को निगल जाती हैं. भगवान शिव के गले में विष मौजूद होने की वजह से माता के शरीर से धुआं निकलने लगता है और उनका स्वरूप भयानक और श्रृंगार विहीन हो जाता है. इसी वजह से उनका नाम धूमावती पड़ा.