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क्यों नहीं कर सकती विवाहित महिलाएं मां धूमावती की पूजा|

क्यों नहीं कर सकती विवाहित महिलाएं मां धूमावती की पूजा|

• सभी सुहागन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा और सौभाग्य की वृद्धि के लिए माता पार्वती की पूजा करती हैं, पर क्या आपको पता है देवी पार्वती का एक स्वरूप ऐसा भी है जिसकी पूजा करने से सुहागन महिलाएं भयभीत होती हैं

• मां पार्वती अपने इस स्वरूप में एक विधवा के समान नजर आती हैं और माता पार्वती का यह स्वरुप वैधव्य का प्रतीक माना जाती हैं

• किसी भी सुहागन स्त्री के सुहाग पर वैधव्य का असर ना हो इसलिए कोई भी सुहागन महिला माता पार्वती के इस स्वरूप की पूजा नहीं करती है

• वैसे महिलाएं दूर से इनके दर्शन कर सकती हैं. जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माता धूमावती का प्राकट्य हुआ था

• पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने माँ धूमावती का यह स्वरूप शत्रु का संघार करने के लिए धारण किया है

• पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव को निगलने के बाद माता पार्वती विधवा हो गई थी. इसलिए माता धूमावती का यह स्वरूप वैधव्य के समान प्रतीत होता है

• इनके केश बिखरे हुए हैं. माता धूमावती हमेशा सफेद वस्त्र धारण करती हैं और इनके बाल हमेशा खुले रहते हैं

• माता धूमावती अपने हाथ में सूप धारण करती हैं. माता धूमावती के इस स्वरूप के पीछे एक पौराणिक कथा मशहूर है

• जिसके अनुसार एक बार माता पार्वती के मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि विधवा कैसी होती है

• यह जानने के लिए उन्होंने भगवान शिव से कहा कि वह वैधव्य को महसूस करना चाहती हैं. देवी पार्वती कि इस कामना को पूरा करने के लिए ही भोलेनाथ ने इस लीला को रचा

• जिसमें फंसकर खुद माता पार्वती ने भगवान शिव को अपना ग्रास बना लिया.


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