कैसे करें दिन की शुरुआत|
गंगा दशहरे के दिन प्रात जल्दी उठना चाहिये और अपने नित्य कर्मो से तृप्त होकर गंगा में स्नान करना चाहिये। यदि आप किसी कारण वश नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो अपने आसपास किसी भी नदी में स्नान कर सकते है। इसके अलावा अपने नहाने वाले जल में ही थोड़ा सा गंगा जल मिलाकार स्नान कर सकते हैं।
पृथ्वी पर अवतरित होने से पहले माता गंगा स्वर्ग का हिस्सा थीं। गंगा दशहरा पर घाटों पर भीड़ देखते ही बनती है और हजारों भक्त इलाहाबाद, गढ़मुकेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, पटना और गंगासागर में पवित्र डुबकी लेते हैं। इतना ही नहीं बल्कि दशाश्वमेध घाट वाराणसी और हर की पौरी हरिद्वार की गंगा आरती तो पूरे विश्व में अपने महातमय के लिये जानी जाती है। यमुना नदी के पास बसे बहुत ही पुराने और पौराणिक शहर जैसे मथुरा, वृंदावन और बेटेश्वर को वासियों के लिये तो नदियों से जूड़े पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन प्रसाद में लस्सी, शरबत, शिकंजी, जेलबी, मालपुआ, खीर और तरबूज आदि बांटा जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष स्थानों पर आज के दिन बहुत ही हर्षोंल्लास के साथ पतंग उड़ाकर जश्न मनाया जाता है| इस विशेष दिन दान-पुण्य का बहुत ही विशेष महत्त्व है। आपको इस शुभ दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करना चाहिये। आप किसी भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिये।
गंगा दशहरा कथा|